`मोदी अडानी एक हैं - इसलिए अडानी सेफ है` नारा लगाते हुए संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया गया.
विरोध प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा गौतम अडानी और उनकी कंपनियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप हैं.
विपक्ष की मांग है कि इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित की जाए ताकि पूरे मामले की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके.
जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्षी दलों ने अडानी मामले को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल की शुरुआत की, विपक्षी नेताओं ने अडानी के खिलाफ आरोपों को लेकर शोर-शराबा किया.
उनका कहना था कि सरकार जानबूझकर अडानी के खिलाफ जांच से बच रही है, जबकि इस मामले में सार्वजनिक धन की हानि हो सकती है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है.
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि अडानी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप बेहद गंभीर हैं, और इन्हें अनदेखा किया जा रहा है.
विपक्षी नेता यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हैं कि अडानी और मोदी के बीच करीबी संबंधों के कारण इस मामले को दबाया जा रहा है.
उनका कहना है कि अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती है, तो देश की अर्थव्यवस्था और नागरिकों के हितों को नुकसान हो सकता है.
विपक्षी नेताओं ने संसद के मकर द्वार की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया. इसमें कांग्रेस के राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह, राजद की मीसा भारती, और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत जैसे प्रमुख नेता शामिल थे.
सभी ने इस बात की मांग की कि सरकार इस गंभीर मामले की जांच करवाए और उसे संसद में पेश करे. विपक्ष का यह प्रदर्शन संसद में गर्मागर्म बहस और सरकार से जवाबदेही की मांग को लेकर एक नया अध्याय जोड़ता है. यह राजनीतिक संघर्ष अब न केवल अडानी समूह से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसमें राजनीतिक, आर्थिक और सार्वजनिक हितों की रक्षा का सवाल भी जुड़ा है.
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