इस नीति के माध्यम से सरकार का मकसद राज्यभर में मराठी भाषा को मजबूती देना और उसे अधिक व्यापक रूप से अपनाना है. (PICS/SHADAB KHAN)
इस कदम के साथ, सरकारी कार्यों और सार्वजनिक सेवाओं में मराठी का उपयोग प्राथमिकता दी जाएगी. सरकारी दफ्तरों, कार्यालयों, और सार्वजनिक स्थलों पर अब सभी दस्तावेज़, साइनेज और नामपट्टिकाएँ मराठी में होंगी.
इस नीति के तहत, सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों को मराठी में काम करने की अनिवार्यता दी जाएगी.
इसके साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी इस निर्देश का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकारी कामकाजी भाषा के रूप में मराठी को बढ़ावा मिले.
महाराष्ट्र सरकार की यह पहल मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम साबित हो सकती है.
इसे देखते हुए महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने भी घोषणा की है कि वह जल्द ही राज्य के सभी पंजीकृत वाणिज्यिक वाहनों पर मराठी में सार्वजनिक सेवा संदेश प्रदर्शित करने का आदेश देगा.
इससे सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने वाले लोगों को मराठी में संदेशों की जानकारी मिलेगी, जो भाषा की बाधा को कम करने में मददगार साबित होगा.
इसके अलावा, सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि अब से नए व्यवसायों को अपना नाम बिना अंग्रेजी अनुवाद के केवल मराठी में पंजीकृत करना होगा.
यह कदम मराठी भाषा की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए है, ताकि राज्य में मराठी का अधिक से अधिक उपयोग हो.
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र सरकार की यह पहल न केवल मराठी भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है.
यह कदम आने वाली पीढ़ियों को अपनी मातृभाषा से जुड़ा रखने में मदद करेगा और राज्य में मराठी के उपयोग को बढ़ावा देगा.