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भारत को मिला पहला बौद्ध चीफ जस्टिस, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने ली शपथ

Updated on: 14 May, 2025 12:51 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश गवई इस प्रतिष्ठित पद को प्राप्त करने वाले पहले बौद्ध हैं.

बुधवार को यूट्यूब के ज़रिए @PresidentOfIndia से लिया गया स्क्रीनशॉट। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा स्वागत किया गया. तस्वीर साभार/PTI

बुधवार को यूट्यूब के ज़रिए @PresidentOfIndia से लिया गया स्क्रीनशॉट। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा स्वागत किया गया. तस्वीर साभार/PTI

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति गवई को शपथ दिलाई. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश गवई इस प्रतिष्ठित पद को प्राप्त करने वाले पहले बौद्ध हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक उनके शपथ समारोह में देश की कुछ प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल हुईं, जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कई अन्य केंद्रीय कैबिनेट मंत्री. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद भी मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे. 


न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. गौरतलब है कि न्यायमूर्ति गवई बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में एक प्रमुख विधि व्यवसायी थे. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बार के साथ काम किया. राजा एस. भोंसले, जो वर्ष 1987 तक एक पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं. उन्हें अगस्त 1992 में बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था, और उन्होंने जुलाई 1993 तक वहां काम किया. 14 नवंबर, 2003 को न्यायमूर्ति गवई को बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके बाद उन्होंने 12 नवंबर, 2005 को एक स्थायी पद हासिल किया. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मुंबई में मुख्य सीट के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में बेंचों में कई तरह के मामलों की अध्यक्षता की, जैसा कि एएनआई ने बताया.


इसके अलावा, 20 अप्रैल, 2025 को, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने औपचारिक रूप से न्यायमूर्ति गवई को अपने उत्तराधिकारी के रूप में अनुशंसित किया, नियुक्ति प्रक्रिया के हिस्से के रूप में प्रस्ताव को कानून मंत्रालय को भेज दिया.  मुख्य न्यायाधीश गवई पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का स्थान लेंगे, जो एक दिन पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे, जिससे उनके उत्तराधिकारी के लिए रास्ता साफ हो गया. मुख्य न्यायाधीश गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने तक चलने की उम्मीद है. न्यायमूर्ति गवई अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं, उनसे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन 2007 से 2010 के बीच मुख्य न्यायाधीश रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने हाल ही में न्यायमूर्ति गवई की सीजेआई के रूप में नियुक्ति की पुष्टि करते हुए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है. जबकि कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति को अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किया. एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नियुक्ति भारत के संविधान द्वारा दिए गए अधिकार के तहत की गई है. न्यायमूर्ति गवई, जो पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे, 14 मई, 2025 को आधिकारिक तौर पर अपनी नई ज़िम्मेदारियाँ संभालेंगे. 

न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था, इससे पहले 12 नवंबर, 2005 को उन्हें स्थायी पद मिला था. अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने मुंबई की मुख्य सीट के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की बेंचों में विविध प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की.


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