Updated on: 05 May, 2025 08:42 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र कांग्रेस आज 5 मई को परभणी में `संविधान बचाओ पदयात्रा` का आयोजन कर रही है. इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह कांग्रेस कार्यालय में बैठक से होगी, जिसमें रमेश चेन्निथला और प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल शामिल होंगे.
X/Pics, Harshvardhan Sapkal
महाराष्ट्र कांग्रेस संगठन आज एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पहल करते हुए `संविधान बचाओ पदयात्रा` का आयोजन कर रहा है. इस ऐतिहासिक पदयात्रा का उद्देश्य भारतीय संविधान की मूल भावना की रक्षा करना, लोकतंत्र को मजबूत करना और देशवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना है.
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इस पदयात्रा से पहले आज सुबह 10 बजे महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला की उपस्थिति में और प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल के नेतृत्व में एक रणनीतिक बैठक बुलाई गई है. यह बैठक परभणी शहर में आयोजित होगी, जिसमें संगठन के जिला स्तरीय पदाधिकारी, कार्यकर्ता और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. बैठक में पदयात्रा की रूपरेखा, संदेश और सामाजिक प्रभाव पर चर्चा की जाएगी.
दोपहर 12 बजे, बैठक के तुरंत बाद, परभणी शहर कांग्रेस कार्यालय से `संविधान बचाओ पदयात्रा` की शुरुआत होगी. यह यात्रा शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए नागरिकों को भारतीय संविधान की विशेषताओं के बारे में जागरूक करेगी. यात्रा में शामिल कार्यकर्ता हाथों में तख्तियाँ और झंडे लिए संविधान की प्रस्तावना और अधिकारों का पाठ करेंगे.
इस पदयात्रा का समापन अक्षता मंगल कार्यालय में होगा, जहां संविधान सभा का आयोजन किया जाएगा. इस विशेष सभा में वरिष्ठ नेताओं द्वारा संविधान के महत्व पर व्याख्यान दिया जाएगा और नागरिकों को मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी दी जाएगी. इसके अतिरिक्त, युवाओं और विद्यार्थियों के लिए संविधान पर आधारित प्रश्नोत्तरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने बताया कि “आज देश में संविधान पर बार-बार हमले हो रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने यह ज़िम्मेदारी उठाई है कि वह हर नागरिक को संविधान की मूल भावना से जोड़े और लोकतंत्र को मजबूत बनाए.”
यह पदयात्रा न केवल कांग्रेस की सांगठनिक एकता को दर्शाएगी बल्कि एक विचारधारा आधारित जनजागरण अभियान के रूप में भी इसे देखा जा रहा है. कांग्रेस का यह प्रयास निश्चित ही आने वाले समय में संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा.
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