सामने आई लेटेस्ट तस्वीरों में बीच पर प्लास्टिक, थर्मोकोल, घरेलू कचरा और समुद्री लहरों से बहकर आया गंदगी का ढेर साफ देखा जा सकता है. (PIC/SHADAB KHAN)
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन हर मानसून की शुरुआत के साथ यह और भी विकराल रूप ले लेती है.
तेज़ हवाओं और समुद्री लहरों के कारण नालों और समुद्र से भारी मात्रा में कचरा बहकर किनारे पर जमा हो जाता है.
यह केवल दृश्य प्रदूषण नहीं, बल्कि समुद्री जीवों और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा है.
बीएमसी अधिकारियों ने कहा कि मानसून से पहले नियमित साफ-सफाई की योजना बनाई गई थी, लेकिन मौसम के अचानक बदलने और कुछ मशीनरी में खराबी के चलते यह काम समय पर पूरा नहीं हो सका.
हालांकि, प्रशासन का दावा है कि जल्द ही एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा.
माहिम और रेतीबंदर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता इस विषय को लेकर लगातार सक्रिय हैं.
पर्यावरणविदों ने चेताया है कि अगर समुद्री तटों की सफाई को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में ये बीच न केवल पर्यटक दृष्टि से अप्रभावी हो जाएंगे, बल्कि समुद्री जैवविविधता पर भी गंभीर असर पड़ेगा.
स्थानीय निवासी ने कहा, "हम रोज़ इस गंदगी से परेशान हैं. न तो ठीक से सफाई होती है और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठाता है."
बीएमसी को अब इस बात पर विचार करना होगा कि नियमित सफाई और जन-जागरूकता अभियानों के ज़रिये कैसे इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान निकाला जाए, ताकि मुंबई के समुद्री किनारे फिर से साफ और स्वच्छ दिख सकें.
ADVERTISEMENT