नगर निगम की टीम ने मध-मार्वे रोड स्थित इस ढांचे पर धावा बोलते हुए मौके पर ही बड़ी कार्रवाई की.
इस कथित अवैध निर्माण में छह अलग-अलग मेकअप रूम बनाए गए थे, जो अंदाज़ा लगाता है कि इसका इस्तेमाल शूटिंग, इवेंट्स या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए हो सकता था.
बीएमसी ने इस कार्रवाई को पूरी तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था के साथ अंजाम दिया. मौके पर पी नॉर्थ वार्ड की इंजीनियरिंग टीम के आठ इंजीनियर, 10 मजदूर, दो जेसीबी मशीनें, एक पोकलेन और चार पुलिसकर्मी तैनात थे. स्थानीय प्रशासन की देखरेख में बिना किसी विरोध या अड़चन के यह ढांचा पूरी तरह ढहा दिया गया.
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अनधिकृत ढांचे न केवल नियमों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि पर्यावरण और शहरी योजना के लिहाज से भी खतरनाक साबित हो सकते हैं.
एरंगल गांव जैसे तटीय इलाकों में बिना इजाज़त निर्माण करने वालों के खिलाफ सख्ती ज़रूरी है, ताकि भविष्य में अन्य लोग भी सबक लें. बीएमसी के अनुसार, यह अभियान उनके ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत चलाया गया है, जिसके तहत शहर में कहीं भी अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
नगर निगम के इस सख्त रुख से साफ हो गया है कि चाहे कोई भी इलाका हो- कोलाबा हो या मध आइलैंड- मुंबई में अब नियमों के खिलाफ जाकर ढांचे खड़े करना आसान नहीं होगा. मुंबई में अवैध निर्माण की लंबी समस्या रही है, लेकिन बीएमसी की ऐसी कड़ी कार्रवाई से उम्मीद है कि नियमों का पालन कराने में प्रशासन और ज्यादा प्रभावशाली साबित होगा.
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