Updated on: 09 July, 2025 09:44 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मराठी भाषा विवाद के बीच MNS प्रमुख राज ठाकरे ने पार्टी नेताओं को मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने का निर्देश दिया है.
Representation Pic
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर हाल ही में उठे विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश जारी किए हैं. मंगलवार को राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी के किसी भी सदस्य को इस विषय पर मीडिया से बातचीत नहीं करनी है और न ही सोशल मीडिया पर कोई प्रतिक्रिया देनी है.
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एक स्पष्ट आदेश... पक्षातील कोणीही वर्तमानपत्रं, वृत्तवाहिन्या किंवा कोणत्याही डिजिटल माध्यमांशी संवाद साधायचा नाही. तसंच स्वतःचे प्रतिक्रियांचे व्हिडीओज सोशल मीडियावर टाकायचे हे पण अजिबात करायचं नाही.
— Raj Thackeray (@RajThackeray) July 8, 2025
आणि माध्यमांशी संवाद साधण्याची अधिकृत जबाबदारी ज्या प्रवक्त्यांना दिली आहे…
राज ठाकरे ने मराठी भाषा में लिखी अपनी पोस्ट में कहा, "पार्टी का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी सदस्य किसी अखबार, न्यूज चैनल या डिजिटल मीडिया से संपर्क न करे. साथ ही, अपने विचारों के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की इजाज़त भी नहीं है."
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि MNS के जिन प्रवक्ताओं को आधिकारिक रूप से मीडिया से बातचीत करने का अधिकार प्राप्त है, वे भी इस मुद्दे पर न तो मीडिया से बातचीत करेंगे और न ही बिना उनकी अनुमति के सोशल मीडिया पर कुछ कहेंगे. ठाकरे ने कहा कि यह निर्देश पार्टी की एकरूपता बनाए रखने और गैर-आधिकारिक बयानों से बचने के लिए जरूरी है.
हाल ही में राज्य में मराठी भाषा को लेकर कई मुद्दे चर्चा में आए हैं, जिनमें कुछ स्थानों पर मराठी बोर्ड्स की अनदेखी, हिंदी और अंग्रेज़ी के बढ़ते प्रभाव, और क्षेत्रीय पहचान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखी गई हैं. MNS जो मराठी अस्मिता को लेकर पहले से ही मुखर रही है, उससे जुड़ी प्रतिक्रियाओं पर मीडिया की नजर रहती है. इस संदर्भ में राज ठाकरे का यह कदम यह दर्शाता है कि पार्टी किसी भी तरह की बेतरतीब या असंगत प्रतिक्रिया से बचना चाहती है.
राज ठाकरे के इस निर्देश से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वे पूरे विवाद को गंभीरता से ले रहे हैं और चाहते हैं कि पार्टी का कोई भी सदस्य अनावश्यक बयानबाजी से बचे. यह कदम पार्टी की छवि को नियंत्रित और संगठित रखने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
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