इस महा आयोजन के दौरान, प्रतिभागियों ने ध्यान के माध्यम से आंतरिक शांति और जागरूकता प्राप्त की.
इस अवसर पर कई लोगों ने संघ दान में भी भाग लिया, जोकि भिक्षुओं और साधकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और सेवा भाव व्यक्त करने का एक माध्यम है.
सभी साधकों ने एक दिवसीय मेगा विपश्यना कोर्स के दौरान बुद्ध और आदरणीय एसएन गोयनका जी के अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
गोयनका जी का योगदान अद्वितीय है; उन्होंने विपश्यना ध्यान को भारत में पुनः स्थापित किया और इसे वैश्विक स्तर पर फैलाने का महान कार्य किया.
उनके मार्गदर्शन में, आज दुनिया भर में 245 से अधिक विपश्यना केंद्र स्थापित हो चुके हैं, जहाँ 58 विभिन्न भाषाओं में विपश्यना सिखाई जाती है.
एसएन गोयनका जी ने ध्यान शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप आज लगभग 2250 शिक्षकों के माध्यम से यह प्राचीन ध्यान पद्धति लाखों लोगों तक पहुँच रही है.
उन्होंने विशेष रूप से भारत में विपश्यना को पुनर्जीवित करने के लिए 116 से अधिक केंद्रों की स्थापना में भी योगदान दिया.
उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने विपश्यना को एक वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित किया.
जो विभिन्न जाति, धर्म, और भाषाओं के लोगों को आत्मिक शांति और आंतरिक समृद्धि प्रदान करता है.
ग्लोबल विपश्यना पैगोडा का यह आयोजन, न केवल ध्यान के महत्व को उजागर करता है बल्कि विश्व भर के साधकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रेरणा का स्रोत भी है.
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