भक्तों ने देवी के भजनों और जयघोष के साथ पूरे जुलूस मार्ग को भक्ति-रस में सराबोर कर दिया. (Pics: ASHISH RAJE)
पारंपरिक वस्त्रों, फूलों की सजावट और रंगीन ध्वजों से सजे इस धार्मिक आयोजन ने माहिम की गलियों को उत्सवमय बना दिया.
जुलूस के दौरान ढोल-नगाड़ों की गूंज, मंत्रोच्चार और उत्साही नृत्य ने माहौल को और भी दिव्य बना दिया.
श्रद्धालुओं का मानना है कि महा मरियम्मन देवी उनकी रक्षा करती हैं और उन्हें रोगों से मुक्ति, अच्छा स्वास्थ्य तथा समृद्धि प्रदान करती हैं.
यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और हर साल हजारों लोग देवी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से इस आयोजन में हिस्सा लेते हैं.
विशेष रूप से मछुआरा समुदाय में देवी महा मरियम्मन को शक्ति और पालनहार के रूप में पूजा जाता है.
इस जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी बेहद सुदृढ़ रही. मुंबई पुलिस और स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर भीड़ प्रबंधन और यातायात नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचने के लिए हर मोर्चे पर निगरानी रखी गई.
कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और लोगों ने आपसी सद्भाव, आस्था और परंपरा की मिसाल पेश की.
इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक विरासत मुंबई की पहचान का अहम हिस्सा हैं.
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