चर्च की भव्य सजावट, झिलमिलाती रोशनी और क्रिसमस ट्री की छटा माहौल को और भी पवित्र बना रही थी. (Pic/ Anurag Ahire)
सुबह की मुख्य प्रार्थना सभा का आरंभ चर्च के पादरी द्वारा किया गया.
श्रद्धालुओं ने मिलकर ईसा मसीह के जन्म के इस शुभ दिन पर उनका धन्यवाद किया और मानवता, शांति और प्रेम के संदेश को अपनाने का संकल्प लिया.
पादरी ने बाइबिल के पवित्र शब्दों को उद्धृत करते हुए मसीह के बलिदान और करुणा की महिमा का वर्णन किया. उनकी प्रेरणादायक वाणी ने सभी के दिलों को छू लिया.
प्रार्थना के दौरान सभी श्रद्धालु एक साथ गीत गा रहे थे, जिसमें बैंड का मधुर संगीत उनकी भक्ति को और गहराई प्रदान कर रहा था.
"साइलेंट नाइट", "जॉय टू द वर्ल्ड", और "ओ होली नाइट" जैसे कैरोल्स की धुनें चर्च में गूंज उठीं. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर किसी का चेहरा उमंग और खुशी से दमक रहा था.
बच्चों ने विशेष रूप से क्रिसमस ट्री के पास खड़े होकर अपने प्रिय सांता क्लॉज की प्रतीक्षा की, जो उनके लिए उपहार लेकर आने वाले थे.
चर्च परिसर में चारों ओर प्रसाद वितरण के लिए स्टॉल लगाए गए थे, जहां श्रद्धालु केक, वाइन और अन्य प्रसाद ग्रहण कर रहे थे.
इसके अलावा, चर्च ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए एक विशेष भोज का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.
इस पवित्र सुबह की प्रार्थना ने न केवल लोगों को आध्यात्मिक बल प्रदान किया, बल्कि उन्हें एकता और मानवता के महत्व का अहसास भी कराया.
हर किसी ने इस शुभ दिन पर प्रार्थना की कि ईसा मसीह का आशीर्वाद सभी पर बना रहे और पूरी दुनिया में शांति और सद्भाव स्थापित हो. मलाड का ओरलेम चर्च, इस क्रिसमस की सुबह, न केवल प्रार्थना का केंद्र बना, बल्कि उत्सव और भक्ति के संगम का प्रतीक भी रहा. श्रद्धालुओं के हर्षोल्लास ने इस दिन को यादगार बना दिया.
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