समारोह की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार देवी एकविरा की पूजा से हुई. कमिटी के सभी सदस्यों ने इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
समारोह की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार देवी एकविरा की पूजा से हुई. कमिटी के सभी सदस्यों ने इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने सुनिश्चित किया कि पूजा विधिवत तरीके से हो और हर भक्त देवी की आराधना में सम्मिलित हो सके. देवी की आरती पूरे विधि-विधान से की गई, जिसमें सभी भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और श्रद्धा पूर्वक आई एकविरा देवी के चरणों में अपनी आस्था अर्पित की.
इस पूरे आयोजन की व्यवस्था और संचालन में आई एकविरा देवी सेवा कमिटी कळंब के अध्यक्ष प्रवीण किणी, सचिव कपिल म्हात्रे, खजिनदार सतीश गोवारी और अन्य सदस्यों—दीनानाथ तांडेल, वैभव किणी, कल्पेश म्हात्रे, संदेश म्हात्रे, हेमंत तांडेल, संदेश तांडेल—का विशेष योगदान रहा.
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भक्तों के बीच समर्पण और सेवा भावना को बढ़ावा देना था. आई एकविरा देवी की पूजा के माध्यम से न केवल देवी के प्रति भक्तों की श्रद्धा को और सुदृढ़ किया गया, बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग की भावना को भी बल मिला.
भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र भंडारा था. पूजा के बाद कमिटी द्वारा आयोजित भंडारे में सभी उपस्थित भक्तों को देवी के प्रसाद के रूप में स्वादिष्ट और सादा भोजन परोसा गया.
इस भंडारे में स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इसे एक सामुदायिक आयोजन के रूप में मनाया. प्रसाद ग्रहण करने के बाद भक्तों के चेहरे पर संतुष्टि और खुशी साफ झलक रही थी.
यह धार्मिक आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का था, बल्कि इसने कळंब के निवासियों को एकजुट करने और समाज में सेवा भावना को प्रोत्साहित करने का काम भी किया.
सभी ने मिलकर इस समारोह का आनंद लिया और देवी के आशीर्वाद से अपनी आस्था और भक्ति को और भी गहरा किया. इस प्रकार, नवरात्रि पर आई एकविरा देवी की पूजा और भंडारे का आयोजन कळंब के निवासियों के लिए एक यादगार और आस्थापूर्ण अनुभव साबित हुआ.
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