Updated on: 12 May, 2025 11:03 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
वैशाख पूर्णिमा को हर साल बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान बुद्ध के जन्म, उनके निर्वाण और पहले उपदेश देने की याद दिलाता है.
Pic/By Special Arrangement
वैशाख पूर्णिमा हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, साथ ही उनकी निर्वाण की प्राप्ति और पहले उपदेश देने का भी दिन है. यह दिन विशेष रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा `बुद्ध जयंती` के रूप में मनाया जाता है. बुद्ध जयंती एक ऐसा पर्व है, जो शांति, अहिंसा और समर्पण की शिक्षाओं के प्रसार का प्रतीक है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था, और उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था. उनके जीवन का उद्देश था मनुष्यों को दुखों से मुक्ति दिलाना और जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना. भगवान बुद्ध ने जीवन के कष्टों को समझा और उनसे मुक्ति पाने का मार्ग बताया. उनका उपदेश जीवन के दुःख, दुखों से मुक्ति और अहिंसा पर आधारित था.
इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी विशेष पूजा अर्चना करते हैं. वे बुद्ध की प्रतिमाओं को स्नान कराते हैं और बौद्ध मंदिरों में प्रार्थना और ध्यान करते हैं. विशेष रूप से इस दिन को `धम्मा-चक्क-पवत्तन` के रूप में मनाया जाता है, जो उस ऐतिहासिक दिन की याद दिलाता है जब भगवान बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में उपदेश दिया था. इस उपदेश ने संसार को धर्म का मार्ग दिखाया, और वह चक्र जिसमें बौद्ध धर्म का संदेश फैलने लगा, उसी दिन का प्रतीक है.
बुद्ध जयंती के अवसर पर विश्वभर में बौद्ध अनुयायी शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाते हैं. भारत में, विशेष रूप से बिहार के बोधगया में, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, लाखों लोग एकत्रित होते हैं. यहाँ पर विशेष रूप से महा बोधि वृक्ष के नीचे प्रार्थना होती है.
इसके अलावा, इस दिन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बुद्ध जयंती को समाज में व्याप्त अन्याय, अशांति और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का एक अवसर भी माना जाता है. यह दिन न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा का दिन है.
सारांश में, वैशाख पूर्णिमा का दिन न केवल भगवान बुद्ध के जन्म की याद दिलाता है, बल्कि यह उनके द्वारा दिए गए शांति, प्रेम और अहिंसा के संदेश को फिर से जीवन में उतारने का दिन भी है. यह दिन हमें न केवल आत्म सुधार की दिशा में प्रेरित करता है, बल्कि समाज में सद्भाव और सामंजस्य को बढ़ावा देने का भी अवसर प्रदान करता है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT