सिंगापुर में आयोजित इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में उन्होंने चीन के दिग्गज खिलाड़ी डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रच दिया. (Photos: @adityasurroy)
गुकेश अब विश्व शतरंज चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. इससे पहले यह गौरव पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को प्राप्त हुआ था.
उत्साह से भरे समर्थकों ने ढोल-नगाड़ों और फूल मालाओं के साथ अपने नायक का जोरदार स्वागत किया. इस दौरान "गुकेश ज़िंदाबाद" और "भारत माता की जय" जैसे नारों से पूरा हवाई अड्डा गूंज उठा.
18 वर्षीय डी गुकेश ने अपने करियर की इस सबसे बड़ी जीत से न केवल भारत, बल्कि पूरी शतरंज की दुनिया को हैरत में डाल दिया है.
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ उन्होंने सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गैरी कास्परोव का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. उनके शानदार प्रदर्शन की बदौलत वह 18वें निर्विवाद विश्व शतरंज चैंपियन बन गए हैं.
गुकेश ने टूर्नामेंट में अद्वितीय कौशल और बेहतरीन रणनीति का प्रदर्शन किया. उन्होंने कुल 14 मैचों के विश्व चैंपियनशिप मुकाबले में जबरदस्त मानसिक मजबूती और खेल के प्रति दृढ़ संकल्प दिखाया. उनकी इस जीत को भारतीय शतरंज के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय माना जा रहा है.
गुकेश ने टूर्नामेंट में अद्वितीय कौशल और बेहतरीन रणनीति का प्रदर्शन किया. उन्होंने कुल 14 मैचों के विश्व चैंपियनशिप मुकाबले में जबरदस्त मानसिक मजबूती और खेल के प्रति दृढ़ संकल्प दिखाया. उनकी इस जीत को भारतीय शतरंज के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय माना जा रहा है.
गुकेश की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने उन्हें बधाई दी है.
शतरंज महासंघ और खेल मंत्रालय ने भी उनके शानदार प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए भारतीय खेल जगत की इस बड़ी जीत पर गर्व व्यक्त किया.
गुकेश की सफलता उन सभी युवा शतरंज खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखते हैं. उनका यह स्वर्णिम सफर भारतीय शतरंज के भविष्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की उम्मीद जगाता है.
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