Updated on: 16 February, 2024 12:50 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
चार पहिया वाहन हो या दो पहिया वाहन, गाड़ी चलाते समय सड़क पर यातायात नियमों का ध्यान रखना जरूरी है. रेड लाइट क्रॉस न करना, स्पीड को लिमिट में रखना और हेलमेट लगाना आदि यातायात नियमों के उल्लंघन के अंतर्गत आता है.
सड़कों पर लगा ट्रैफिक नियमों की जांच करने वाला कैमरा. (मिड-डे)
चार पहिया वाहन हो या दो पहिया वाहन, गाड़ी चलाते समय सड़क पर यातायात नियमों का ध्यान रखना जरूरी है. रेड लाइट क्रॉस न करना, स्पीड को लिमिट में रखना और हेलमेट लगाना आदि यातायात नियमों के उल्लंघन के अंतर्गत आता है. आजकर सड़कों पर मैनुअल निगरानी की जगह कैमरे ले चुके हैं. इससे अब ई चालान कटता है. हालांकि यह ई चालान भारत के अलावा विदेशों में भी काटा जाता है. ऐसी ही एक घटना सामने आई है डच से.
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एक डच व्यक्ति टिम पर 380 यूरो ($400 या 33198 रुपये) का जुर्माना लगाया गया. दरअसल एक एआई-संचालित कैमरे ने उसे गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करते हुए पकड़ लिया था. वहीं, टिम का दावा है कि वह केवल अपना सिर खुजा रहा था,सिस्टम से गलती हुई है. एक महीने पहले गाड़ी चलाते हुए कथित तौर पर फोन पर बात करते हुए सिस्टम ने गलत फोटो ले ली और जुर्माना लगा दिया, जबकि उन्होंने फोन का इस्तेमाल नहीं किया था.
ऐसे में सेंट्रल ज्यूडिशियल कलेक्शन एजेंसी पर कैमरे से ली गई तस्वीर पर जांच करने का फैसला किया गया है. टिम फोन पर बात कर रहा था ऐसा एक नजर में समझ आ रहा था लेकिन स्थिति की सही जांच करने के एआई कैमरे की जांच की जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि कैमरे से गलती हुई है.
टिम ने कहा, "अगर किसी मॉडल को यह अनुमान लगाना है कि कोई चीज़ `हां` है या `नहीं` है, तो निश्चित रूप से यह भी हो सकता है कि मॉडल गलत है." “मेरे टिकट के मामले में, मॉडल ने संकेत दिया कि मेरे हाथ में एक मोबाइल है, जबकि ऐसा नहीं था. ऐसी तकनीक से 100% सही रिजल्ट दुर्लभ है."
आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक आई विशेषज्ञ हैनसन ने बताया कि मोनोकैम जैसे सिस्टम को दो या तीन समूहों में विभाजित कर छवियों के बड़े सेट पर ट्रेन किया जाना चाहिए. एआई कैमरे को अंगों की फोटो और वस्तु की छवि दिखानी होगी. एल्गोरिदम के कई हाइपर-पैरामीटरों को अनुकूलित करने के लिए किया जाता है, और तीसरे का टेस्ट करने के लिए किया जाता है.
हालांकि, वहां सरकारी नियमों के अनुसार इस मामले पर फैसला आने के लिए लगभग 26 सप्ताह लगेंगे. ये मामला भारत का साथ-साथ नीदरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों में वायरल हो गया है.
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