Updated on: 05 July, 2025 03:20 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
आरोपी को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि मुलाकात एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर हुई थी. उसने आरोपी को वैवाहिक संबंध के बहाने फंसाया.
प्रतीकात्मक चित्र. फोटो सौजन्य/आईस्टॉक
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोपी से पैसे ऐंठने के लिए झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराने वाली महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला की मुलाकात एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर हुई थी. उसने आरोपी को वैवाहिक संबंध बनाने के बहाने फंसाया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने अमेरिकी आपराधिक बचाव वकील एफ. ली बेली की पंक्तियों का हवाला दिया, "अदालत में, सच्चाई अक्सर प्रक्रिया में खो जाती है. शपथ का मतलब इसकी रक्षा करना है, लेकिन लोग झूठ बोलते हैं, यहां तक कि भगवान के अधीन भी." कोर्ट ने शुरू में कहा, "ऊपर दी गई कहावत इस मामले पर पूरी तरह लागू होती है, जैसा कि हम इस फैसले को लिखते समय देखेंगे."
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अनुज अग्रवाल ने आरोपी को बरी कर दिया और महिला के खिलाफ अदालत के समक्ष झूठे बयान देने के लिए झूठी गवाही देने का मामला दर्ज करने का आदेश दिया. रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, "बरी होने से न्याय का हित नहीं होगा, क्योंकि कानून को न केवल दोषी को दंडित करना चाहिए, बल्कि निर्दोष की गरिमा की भी रक्षा करनी चाहिए."
एएसजे अग्रवाल ने 2 जुलाई को पारित फैसले में कहा, "रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि अभियोक्ता ने शपथ लेकर झूठ बोला, जिससे न्याय पर भरोसा खत्म हो गया." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (केंद्रीय) की अदालत में झूठी गवाही के अपराध के लिए उसके खिलाफ शिकायत भेजने का निर्देश दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, महिला और आरोपी की मुलाकात 2021 में एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर हुई थी. आरोपी ने उससे चैटिंग शुरू कर दी. आरोप है कि आरोपी ने सितंबर 2021 में पहली बार उससे मुलाकात की और अपनी कार में उसका यौन उत्पीड़न किया. उसने कथित तौर पर अपने मोबाइल से उसकी नग्न तस्वीरें खींच लीं. उसके विरोध करने पर आरोपी ने उससे शादी करने का वादा किया और अगली मुलाकात में उसकी तस्वीरें हटाने का भी वादा किया. यह भी आरोप है कि आरोपी ने 14 अक्टूबर, 2021 को उसके फ्लैट पर उससे मुलाकात की, जहां उसने उसके साथ जबरन योनि और गुदा मैथुन किया. उसने फिर से उसकी तस्वीरें खींचीं. विडंबना यह है कि आरोपी के मोबाइल फोन से फोरेंसिक जांच के दौरान ये तस्वीरें बरामद नहीं हुईं. अदालत ने पाया कि उसकी गवाही न केवल विरोधाभासों से भरी हुई है, बल्कि स्वाभाविक रूप से असंगत, कलंकित और मनगढ़ंत है. एएसजे ने फैसले में कहा, "झूठे बलात्कार के आरोप न केवल भरी हुई फाइलों पर अनावश्यक बोझ डालते हैं, बल्कि वास्तविक बलात्कार पीड़ितों के साथ घोर अन्याय भी करते हैं."
जांच के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और कहा कि महिला ने अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी बलात्कार के 4 मामले दर्ज कराए हैं. न्यायाधीश ने कहा कि केवल बरी किए जाने से न्याय का हित नहीं होगा, क्योंकि कानून को न केवल दोषी को दंडित करना चाहिए- बल्कि निर्दोष की गरिमा की भी रक्षा करनी चाहिए.
अदालत ने कहा, "आरोपी के पक्ष में बजरी गिर गई है, लेकिन आरोप की गूंज बनी हुई है, क्योंकि समाज आरोप को याद रखता है, फैसले को नहीं, क्योंकि हमारे सामाजिक परिवेश में बलात्कार/यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप सामाजिक मानस पर एक अमिट छाप छोड़ता है, जिसे कोई भी न्यायिक छाप नहीं हटा सकती." अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी को एफआईआर दर्ज होने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. एफआईआर दर्ज होने से पहले ही एक पुलिस अधिकारी और जांच अधिकारी अभियोक्ता के साथ नियमित संपर्क में थे.
न्यायाधीश ने कहा, "यह स्पष्ट है कि आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर उसी समय अंकुश लगाया गया (कानून की नजर में गिरफ्तारी के बराबर) जब उसे पुलिस अधिकारियों ने उसके घर से हिरासत में लिया." न्यायाधीश ने बताया कि एक पुलिस अधिकारी ने 18 सितंबर से 24 अक्टूबर, 2021 के बीच 16-17 बार उससे टेलीफोन पर बातचीत की थी. अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष का यह तर्क कि संबंधित पुलिस अधिकारी अभियोक्ता के साथ `साठगांठ` में थे ताकि वे आरोपी से पैसे ऐंठ सकें, को हल्के में नहीं लिया जा सकता. हालांकि, इस मामले में कोई भी कार्रवाई दिल्ली पुलिस के योग्य आयुक्त के प्रशासनिक विवेक पर छोड़ी जाती है, जो अपने विवेक से मामले को देख सकते हैं और उचित सुधारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं ताकि दिल्ली पुलिस बल का पोषित आदर्श वाक्य `शांति, सेवा, न्याय` झूठा न हो, अदालत ने फैसले में कहा.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT