आंदोलन के तहत आज महाविकास अघाड़ी के प्रमुख नेता और हजारों कार्यकर्ता मुंबई के हुतात्मा चौक पर एकत्रित हुए है. (Pics/Atul Kamble)
महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने बिना पुलिस की अनुमति के आंदोलन करने का फैसला लिया है.
उनका कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि मराठी स्वाभिमान और राज्य की अस्मिता पर चोट है. इसे लेकर नाराजगी जताते हुए उन्होंने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है.
महाविकास अघाड़ी ने निर्णय लिया है कि किसी भी स्थिति में हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक मार्च निकाला जाएगा और वहां जनसभा का आयोजन किया जाएगा.
इस आंदोलन में कई वरिष्ठ नेता शामिल हो रहे हैं, जिनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, कोल्हापुर के सांसद शाहू महाराज, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, कांग्रेस नेता भाई जगताप और वर्षा गायकवाड़ जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं. इनके साथ ही हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भी इस मार्च में हिस्सा ले रहे हैं.
हालांकि, मुंबई पुलिस ने महाविकास अघाड़ी के इस आंदोलन को अनुमति नहीं दी है. पुलिस का तर्क है कि बिना अनुमति के इतने बड़े पैमाने पर भीड़ को इकट्ठा करना कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हो सकता है. इसके बावजूद, महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने विरोध मार्च निकालने का फैसला किया है, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है.
राज्य सरकार और मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ महाविकास अघाड़ी का रुख और भी कड़ा हो गया है. उनका कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान की रक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जाएंगे.
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में राजनीतिक तापमान को और भी बढ़ा दिया है, और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी उग्र प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं.
स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए, मुंबई पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है. राज्य सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.
महाविकास अघाड़ी की ओर से दिए गए संकेतों के मुताबिक, यह विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकता है, जब तक कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती.
अभी तक की स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसे लेकर आगे भी संघर्ष की संभावना है.
ADVERTISEMENT