सुबह-सुबह मुंबई के ‘शिवतीर्थ’ बंगले पर फडणवीस की अचानक मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों को हवा दे दी है. इस अहम मुलाकात में भाजपा नेता मोहित कंबोज भी मौजूद थे.
भाजपा और मनसे के बीच राजनीतिक समीकरण लंबे समय से चर्चाओं में रहे हैं. बीते वर्षों में राज ठाकरे भाजपा के खिलाफ हमलावर रहे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उनके सुर बदलते नजर आए. अब BMC चुनाव से ठीक पहले यह मुलाकात नई सियासी रणनीति की ओर इशारा कर रही है.
हालांकि, फडणवीस और ठाकरे की बातचीत का एजेंडा अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन 30 मिनट तक चली इस चर्चा के बाद राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा-मनसे के बीच गठबंधन की संभावनाओं से जोड़ रहे हैं.
BMC चुनाव में भाजपा-मनसे गठबंधन संभव? राज ठाकरे पहले भी शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस के खिलाफ मुखर रहे हैं, लेकिन भाजपा के साथ उनके संबंधों में हाल ही में गर्माहट देखने को मिली है. इस मुलाकात के तीन बड़े राजनीतिक संकेत हो सकते हैं:
1. BMC चुनाव में भाजपा-मनसे की सियासी डील: शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच संबंध पहले ही मजबूत हो चुके हैं, लेकिन मनसे को भाजपा अपने साथ जोड़कर शिवसेना (उद्धव गुट) पर बड़ा हमला बोल सकती है.
2. मराठी वोट बैंक पर फोकस: मनसे की पकड़ मराठी मतदाताओं में है, जिसे भाजपा अपने पक्ष में मोड़ सकती है.
3. भविष्य की बड़ी रणनीति: क्या यह मुलाकात सिर्फ BMC चुनाव तक सीमित है या फिर भाजपा-मनसे 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनावों के लिए भी कोई खाका तैयार कर रहे हैं?
मनसे की तैयारियों को मिली नई ऊर्जा?: राज ठाकरे पहले ही मनसे के संगठन विस्तार पर जोर दे चुके हैं. हाल ही में उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें मजबूती से चुनावी रणनीति बनाने के निर्देश दिए थे. इस बीच भाजपा के शीर्ष नेताओं का उनसे मिलना संयोग नहीं, बल्कि एक सियासी कदम लगता है.
शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस में हलचल: भाजपा-मनसे के बीच यदि कोई समझौता होता है, तो यह शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस के लिए नई चुनौती बन सकता है. पहले ही शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को झटका लगा है, और अब अगर मनसे भाजपा के साथ आ जाती है, तो मराठी वोट बैंक में बड़ा बदलाव संभव है.
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