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उद्धव ठाकरे ने जन सुरक्षा विधेयक 2024 की आलोचना करते हुए कहा- `बीजेपी की तानाशाही के खिलाफ हम कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगे`

Updated on: 01 July, 2025 09:18 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024 को लोकतंत्र के खिलाफ करार देते हुए बीजेपी की सत्ता मोह को खतरनाक बताया.

X/Pics, ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray

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महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024 को लेकर विरोध तेज हो गया है. सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आजाद मैदान में प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता उल्का महाजन और अन्य प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की. यह विधेयक विरोध करने वाले दलों और संगठनों को नक्सली करार देने का अधिकार देता है, जिसे लेकर उद्धव ठाकरे ने कड़ा विरोध जताया है. ठाकरे ने कहा कि सरकार का यह कदम लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, और इसे हर हाल में निरस्त किया जाना चाहिए.

 



 


उद्धव ठाकरे ने कहा, "हमें इसके खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर सड़क की लड़ाई लड़नी होगी. अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सत्ता का मोह हो गया है तो उस पर लगाम लगानी होगी." उन्होंने यह भी कहा कि "सदन में बहुमत न होने पर भी सड़क पर विपक्ष की होती है सत्ता. यह वही शक्ति है जो सरकार के मनमाने फैसलों को चुनौती देती है."

विधेयक को लेकर ठाकरे ने सरकार से सीधे सवाल किया, "अगर आप जन सुरक्षा विधेयक की आड़ में विपक्ष को दबाने और कैद करने का सपना देख रहे हैं, तो पहले यह बताएं कि पहलगाम हमले में आतंकवादी कहां गए?" उनका यह सवाल सरकार की नाकामी को बेनकाब करने का प्रयास था, जो उनकी नजर में लोगों को डराने के बजाय आतंकवादियों पर ध्यान केंद्रित करने में असफल रही है.

इस दौरान शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, सांसद संजय राउत, विधायक भास्कर जाधव, अनिल परब और विपक्ष के नेता अंबादास दानवे भी उपस्थित थे. इन नेताओं ने भी सरकार के इस विधेयक को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की.

उद्धव ठाकरे ने इस विधेयक को "जनविरोधी" करार देते हुए कहा कि भाजपा सरकार विपक्ष के खिलाफ यह विधेयक लाकर लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, "यह विधेयक विपक्ष की आवाज को दबाने और लोगों को डराने के लिए लाया गया है, लेकिन हम इसे कभी सफल नहीं होने देंगे."

राज्य के राजनीतिक गलियारों में इस विधेयक के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है. शिवसेना और अन्य विपक्षी दल इसे भाजपा की तानाशाही के खिलाफ एक गंभीर हमला मान रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या सरकार विपक्ष की इन कड़ी आवाजों को सुनकर अपने कदम पीछे हटाएगी, या फिर जनता के खिलाफ इस अत्याचारी विधेयक को लागू करने का प्रयास करेगी.

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