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शिवसेना (UBT) नेता अखिल चित्रे का सवाल– `बच्चों की थाली पर भाजपा की राजनीति क्यों?`

Updated on: 03 February, 2025 12:35 PM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

महाराष्ट्र सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन से अंडा पुलाव, मीठी खिचड़ी और नचनी सतवा हटाने के फैसले पर शिवसेना (UBT) नेता अखिल चित्रे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

X/Pics, Akhil Chitre

X/Pics, Akhil Chitre

भाजपा सरकार की भोजन संस्कृति की राजनीति अब सीधे स्कूली बच्चों की थाली तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र सरकार ने मध्याह्न भोजन से अंडा पुलाव, मीठी खिचड़ी और नचनी सतवा हटाने का फरमान जारी कर दिया है. शिवसेना (UBT) के नेता अखिल चित्रे ने इस फैसले को बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के खिलाफ बताते हुए कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में मांसाहारी भोजन के प्रति नफरत बढ़ाई जा रही है और शाकाहार को जबरन थोपा जा रहा है. यह निर्णय केवल पोषण नहीं, बल्कि भाजपा समर्थक ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की चाल है.

 



 


भाजपा को अंडे से इतनी एलर्जी क्यों?

अंडा एक सस्ता, पौष्टिक और संपूर्ण प्रोटीन का स्रोत है, खासकर उन गरीब और कुपोषित बच्चों के लिए जिनके पास अन्य महंगे प्रोटीन स्रोतों की पहुंच नहीं है. कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में बच्चों को सप्ताह में एक बार अंडा और दो बार दूध दिया जाता है ताकि उनके शरीर में आवश्यक पोषण की कमी न हो. लेकिन महाराष्ट्र में, जहां कुपोषण की दर खतरनाक स्तर पर है, सरकार ने अंडे को हटाने का फैसला क्यों लिया?

अखिल चित्रे ने सरकार से सीधे सात तीखे सवाल पूछे:

>> क्या भाजपा सरकार मध्याह्न भोजन का ठेका अपने समर्थक संगठनों को देने की तैयारी में है, जिनकी भोजन संस्कृति में मांसाहार वर्जित है?

>> जब सरकार विधायकों की खरीद-फरोख्त में 50 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो गरीब स्कूली बच्चों के भोजन के लिए पैसा क्यों नहीं है?

>> मध्य प्रदेश और गोवा जैसे भाजपा शासित राज्यों में पहले ही अंडे को स्कूलों के भोजन से हटाया गया था. क्या महाराष्ट्र में भी शाकाहार को जबरन थोपा जा रहा है?

>> दक्षिणी राज्यों में कुपोषण रोकने के लिए बच्चों को अंडा और दूध दिया जाता है. तो फिर महाराष्ट्र में प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?

>> अगर सरकार अब जनता से बच्चों के भोजन के लिए दान मांग रही है, तो क्या महाराष्ट्र सरकार इतनी लाचार हो गई है कि वह खुद इस बुनियादी जरूरत को पूरा नहीं कर सकती?

>> हजारों करोड़ की विकास योजनाओं के दावे करने वाली सरकार गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन तक मुहैया नहीं कर सकती?

>> भोजन का मुद्दा पोषण का है, फिर इसे शाकाहारी बनाम मांसाहारी की लड़ाई में बदलकर समाज को बांटने की कोशिश क्यों की जा रही है?

भाजपा सरकार बताए – बच्चों की सेहत से खिलवाड़ क्यों?

अखिल चित्रे ने साफ कहा कि स्कूली छात्रों को पोषण से भरपूर भोजन मिलना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत उन्हें वंचित किया जाना चाहिए. यह केवल भोजन का मुद्दा नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकार और उनके स्वास्थ्य का सवाल है.

भाजपा सरकार को जवाब देना ही होगा—क्या उनकी राजनीति बच्चों के स्वास्थ्य से भी ज्यादा जरूरी है?

#ScrambledPriorities #भोजन_का_अधिकार #StopFoodPolitics

अखिल चित्रे ने शेयर किया हुआ पोस्ट इस समय सोशल मीडिया पर वायरल होता दिखाई दे रहा है.

 

 

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