Updated on: 05 July, 2025 04:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मानसून ने 20 जून को राज्य में दस्तक दी थी और तब से अब तक 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
मंडी जिले में राहत और बचाव कार्य जारी है. फोटो/पीटीआई
हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने मानसून की शुरुआत के बाद से मौसम की मार - बादल फटने, अचानक बाढ़, भूस्खलन - के कारण 43 लोगों की मौत हो गई है और 37 से अधिक लोग लापता हैं, अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मानसून ने 20 जून को राज्य में दस्तक दी थी और तब से अब तक 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
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रिपोर्ट के मुताबिक 43 मृतकों में से 14 बादल फटने, आठ अचानक बाढ़ और एक भूस्खलन में मारे गए, जबकि सात लोग डूब गए. सबसे अधिक 17 मौतें मंडी जिले में हुईं, जहां मंगलवार को बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की दस घटनाओं ने कहर बरपाया. अधिकारियों ने बताया कि अकेले इस जिले से लापता 31 लोगों की तलाश अभी भी जारी है.
शुक्रवार को एनडीआरएफ के जवानों ने भारी बारिश के बाद भराड़, देजी, पयाला और रुकचुई गांवों में फंसे 65 लोगों को बचाया. रिपोर्ट के अनुसार भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ, सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं और नदियां उफान पर आ गईं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया और लोगों के घरों और खेतों में मलबा जमा हो गया.
150 से अधिक घर, 106 मवेशी शेड, 31 वाहन, 14 पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, जबकि विभिन्न आपदाओं में 164 मवेशी मारे गए. बचाए गए 402 लोगों के लिए पांच राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से 348 अकेले मंडी से हैं. रिपोर्ट के मुतैक इस बीच, राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) ने कहा कि मंडी में 156, सिरमौर में 49 और कुल्लू जिलों में 36 सहित 280 सड़कें वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दी गई हैं. राज्य में कुल 332 ट्रांसफार्मर और 784 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं. हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में रुक-रुक कर बारिश जारी रही.
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