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सांगली सिविल अस्पताल से तांबे की पाइप चोरी, प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

Updated on: 01 February, 2025 11:34 AM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

सांगली सिविल अस्पताल से लाखों की तांबे की पाइप चोरी होने के बावजूद प्रशासन चोरों के नाम उजागर करने से बच रहा है.

संतोष पाटिल ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही प्रशासन स्पष्टीकरण नहीं देता, तो इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठाया जाएगा और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी.

संतोष पाटिल ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही प्रशासन स्पष्टीकरण नहीं देता, तो इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठाया जाएगा और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी.

सांगली के प्रतिष्ठित पद्मभूषण वसंतदादा पाटिल सरकारी अस्पताल (सिविल अस्पताल) से बीते कुछ महीनों में लाखों की तांबे की पाइप चोरी होने की घटनाएं सामने आई हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि चोरी की शिकायत दर्ज कराने के बाद भी अब तक अपराधियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. इससे भी अधिक आश्चर्यजनक यह है कि अस्पताल प्रशासन ने खुद माना कि चोरों की पहचान हो चुकी है, फिर भी उनके नाम उजागर करने से इनकार कर दिया गया है.

राज्य प्रवक्ता संतोष पाटिल ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए सवाल किया कि जब अपराधियों की पहचान हो गई है, तो प्रशासन उनके नाम सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहा? क्या इस चोरी में अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत है? क्या यह घोटाले का कोई नया रूप है?


बीस दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं


चोरी की पहली सूचना दर्ज कराए 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जब सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने सिविल अस्पताल के तत्कालीन डीन डॉ. प्रकाश गुरव से इस विषय में चर्चा की, तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि चोरों के नाम प्रशासन के पास हैं, लेकिन फिर भी वे उन्हें बताने से बच रहे हैं.

जब यह सवाल उठाया गया कि चोरी के दोषियों का नाम छिपाने के पीछे आखिर क्या कारण है, तो डीन ने इस विषय को पुलिस अधीक्षक के हवाले करने की बात कह दी. इससे यह संदेह गहराता है कि कहीं न कहीं प्रशासन की भूमिका भी संदेहास्पद है.


सामाजिक कार्यकर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया

इस मामले पर प्रो. नंदकुमार सुर्वे, मनोज कांबले, खुदबुद्दीन मुजावर, महेंद्र शिंदे, प्रथमेश शेटे, सतीश शिकलगर, प्रताप पाटिल समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सिविल अस्पताल प्रशासन की इस चुप्पी पर सवाल उठाए. उनका कहना था कि अगर चोरों का पता लग चुका है, तो उनके नाम सार्वजनिक करने में देरी क्यों? क्या उन्हें बचाने का कोई दबाव है?

सिविल अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में इस तरह की चोरी होना और प्रशासन द्वारा अपराधियों को संरक्षण देने जैसी स्थिति गंभीर चिंता का विषय है. संतोष पाटिल ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही प्रशासन स्पष्टीकरण नहीं देता, तो इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठाया जाएगा और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी.

अब देखना यह है कि प्रशासन इस चोरी की गुत्थी को सुलझाने के लिए आगे क्या कदम उठाता है, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धूल फांकने के लिए छोड़ दिया जाएगा.

 

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