सम्मेलन के दौरान, पूर्व नौसेना प्रमुखों को नव स्थापित नौसेना भवन में आमंत्रित किया गया, जहाँ उन्हें भारतीय नौसेना की नवीनतम परिचालन और रणनीतिक पहलों की जानकारी दी गई.
नौसेना के दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखते हुए प्रमुख नीतिगत सुधारों, तकनीकी उन्नयन, सामग्री और रसद संबंधी रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई. यह सुनिश्चित किया गया कि भारतीय नौसेना वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप अपनी युद्ध क्षमता को लगातार उन्नत करे.
मंथन सत्र के दौरान, नौसेना के वरिष्ठ नेताओं ने भविष्य के युद्ध परिदृश्यों, समुद्री रणनीतियों और वैश्विक भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर चर्चा की. इस दौरान, नौसेना की परिचालन प्रभावशीलता और मानव संसाधन विकास के नए प्रतिमानों पर भी विचार किया गया. विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक तकनीकों और रणनीतिक नवाचारों को अपनाकर भारतीय नौसेना को एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर समुद्री बल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए.
सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख आकर्षण "लीगेसी ऑफ लीडरशिप: नेवल चीफ्स थ्रू टाइम" नामक पुस्तक का विमोचन था. यह विशेष संग्रह संस्करण पूर्व नौसेना प्रमुखों की प्रेरणादायक यात्रा, उनके नेतृत्व कौशल और नौसेना के विकास में उनके योगदान को रेखांकित करता है. दुर्लभ तस्वीरों और प्रत्यक्ष अनुभवों से समृद्ध यह पुस्तक भारतीय नौसेना के रणनीतिक विकास और नेतृत्व की विरासत को दर्शाती है.
भारतीय नौसेना प्रमुख (सीएनएस) ने सम्मेलन के समापन पर कहा: "हम आपकी शानदार विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और भारतीय नौसेना भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करना जारी रखेगी - कभी भी, कहीं भी, किसी भी तरह." यह वक्तव्य भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता और सतत प्रगति के प्रति उसकी दृढ़ता को दर्शाता है.
भारतीय नौसेना प्रमुखों का सम्मेलन 2025, संस्थागत निरंतरता और रणनीतिक सोच के महत्व को दर्शाता है. यह आयोजन न केवल पूर्व नौसेना प्रमुखों के अनुभवों से सीखने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि नौसेना के भविष्य को दिशा देने की प्रक्रिया को भी सशक्त बनाता है.
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