पर्यावरण मंत्री उदय सामंत ने विधान परिषद में इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि सरकार जल्द ही BMC को लिखित निर्देश देगी कि वह मुंबई की सीमा में आने वाले सभी कबूतर दाना खिलाने वाले क्षेत्रों को बंद करे. (Pics / Ashish Raje)
उन्होंने कहा, "वर्तमान में मुंबई में 51 स्थानों पर कबूतरों को दाना खिलाया जाता है. हम बीएमसी से कहेंगे कि वह इन सभी जगहों पर तत्काल कार्रवाई करे और दाना डालने की प्रथा पर पूर्ण रोक लगाए."
CSMT के जीपीओ कबूतरखाना को लेकर खासतौर पर चिंता जताई गई है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग कबूतरों को दाना खिलाने आते हैं. यह इलाका घनी आबादी वाला है और आसपास रहने वाले नागरिकों को इससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मंत्री सामंत ने BMC को यह भी कहा है कि वह फीडरों (दाना डालने वालों) के बीच जनजागरूकता अभियान चलाए, जिससे उन्हें इस प्रथा से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जा सके.
शिवसेना के एक विधान परिषद सदस्य ने सदन में इस विषय को उठाते हुए कई वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला दिया.
उन्होंने बताया कि कबूतरों की बीट (मल) और पंखों में मौजूद सूक्ष्म तत्व हवा में फैलकर लोगों को गंभीर बीमारियों की चपेट में ला सकते हैं.
विशेष रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधी रोगों के मामले इन इलाकों में अधिक देखने को मिलते हैं.
चिकित्सा विशेषज्ञों का भी मानना है कि कबूतरों की अधिकता से वायुजनित रोगों का खतरा बढ़ता है, और बुजुर्गों, बच्चों तथा पहले से बीमार लोगों में इसका प्रभाव और गंभीर हो सकता है.
ऐसे में सरकार की यह पहल न सिर्फ ज़रूरी बल्कि जनस्वास्थ्य के लिहाज़ से एक जिम्मेदार कदम माना जा रहा है.
अब यह देखना होगा कि BMC कितनी तेजी से इन निर्देशों को लागू करती है और शहर के 51 कबूतरखानों पर यह रोक कब तक प्रभावी हो पाती है.
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