नगर निगम का यह सफाई अभियान शहर के विभिन्न हिस्सों में तेज़ी से चलाया जा रहा है. नालों और जल निकासी चैनलों की सफाई कर गाद और कचरे को हटाया जा रहा है, ताकि बारिश के समय पानी का बहाव अवरुद्ध न हो. (Pics/Ashish Raje)
बीएमसी अधिकारियों का मानना है कि अगर गाद समय पर नहीं हटाई गई, तो भारी बारिश में पानी सड़कों और रिहायशी इलाकों में भर सकता है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा.
इस पहल के तहत हिंदमाता जैसे मध्य मुंबई के संवेदनशील इलाकों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो हर साल भारी जलभराव से प्रभावित होते हैं.
इसके अलावा वर्ली, धारावी और दादर जैसे इलाकों के प्रमुख नालों की भी सफाई का कार्य प्राथमिकता पर है.
बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी स्वयं कई क्षेत्रों का दौरा कर सफाई कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं और अधिकारियों को समयसीमा के भीतर कार्य पूरा करने के निर्देश दे रहे हैं.
इस वर्ष पहली बार बीएमसी ने गाद निकासी अभियान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का भी सहारा लिया है. एआई सिस्टम के जरिए गाद निकालने, उसे तौलने, परिवहन और निपटान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है.
सफाई के हर चरण का वीडियो रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है और एआई इसका विश्लेषण कर रहा है, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता या लापरवाही को तुरंत पकड़ा जा सके.
बीएमसी का मानना है कि तकनीक के इस इस्तेमाल से पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिकों को मानसून के दौरान जलभराव से काफी हद तक राहत मिलेगी.
नगर निगम ने मुंबईवासियों से भी अपील की है कि वे सफाई कार्यों में सहयोग करें और मानसून के मौसम में कचरा नालों में फेंकने से बचें.
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