इस अवसर पर उन्होंने न केवल स्कूल परिसर का भ्रमण किया, बल्कि अपने पुराने सहपाठियों से भी आत्मीय मुलाकात की और बीते दिनों की यादों को साझा किया. (PIC/ASHISH RAJE)
मुख्य न्यायाधीश ने स्कूल के कक्षा कक्षों, पुस्तकालय और कला अनुभाग का निरीक्षण किया और वहां की व्यवस्थाओं की सराहना की. उन्होंने बताया कि यह स्कूल उनके जीवन की बुनियादी नींव रहा है, जहां से उन्होंने न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्राप्त किया, बल्कि जीवन के मूल्यों और सोचने की क्षमता का विकास भी किया.
मराठी माध्यम में अपनी स्कूली शिक्षा की बात करते हुए सीजेआई गवई ने कहा, "अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने से वैचारिक स्पष्टता आती है और सोचने की गहराई विकसित होती है.
मातृभाषा व्यक्ति को अपनी जड़ों से जोड़े रखती है और उसमें मजबूत मूल्य पैदा होते हैं, जो जीवनभर साथ रहते हैं." उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज भी वह मराठी में सोचते हैं और कई बार न्यायिक मामलों में उस सोच से उन्हें गहराई तक जाने में मदद मिलती है.
गिरगांव स्थित शिरोलकर स्कूल में बच्चों और शिक्षकों ने सीजेआई का जोरदार स्वागत किया. उनके पुराने सहपाठी भी इस मौके पर उपस्थित थे, जिनसे उन्होंने काफी देर तक बातचीत की, हँसी-मजाक किया और पुरानी घटनाओं को याद किया.
यह पल स्कूल के लिए भी गौरवपूर्ण रहा, क्योंकि देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन एक व्यक्ति ने अपने स्कूल और मातृभाषा को खुले दिल से सम्मान दिया.
सीजेआई गवई की यह यात्रा न केवल भावनात्मक थी, बल्कि यह भी संदेश देती है कि शिक्षा की गुणवत्ता केवल भाषा पर निर्भर नहीं होती, बल्कि उस सोच पर होती है जो भाषा के माध्यम से आकार लेती है.
उनका यह दौरा मराठी माध्यम के स्कूलों और मातृभाषा में शिक्षा के महत्व को लेकर समाज में सकारात्मक प्रेरणा देने वाला रहा.
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