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मेट्रो स्टेशनों से लेकर हिंदमाता तक जलभराव, BMC की पोल खुली

Updated on: 05 June, 2025 11:43 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मुंबई में समय से पहले पहुंचे मानसून ने BMC की तैयारियों की पोल खोल दी है. 26 मई को हुई मूसलाधार बारिश के बाद शहर के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई, जिनमें मेट्रो की एक्वा लाइन के स्टेशन, हिंदमाता और गांधी मार्केट जैसे पुराने जलभराव क्षेत्र भी शामिल हैं.

नागरिक प्राधिकारियों द्वारा गाद निकालने का कार्य किया जा रहा है. PIC/BMC

नागरिक प्राधिकारियों द्वारा गाद निकालने का कार्य किया जा रहा है. PIC/BMC

मुंबई में मानसून 10 दिन पहले 26 मई को पहुंचा था, जिसके कारण शहर में बड़े पैमाने पर जलभराव की स्थिति पैदा हो गई थी और शहर में जलभराव के नए हॉटस्पॉट उभर आए थे, जिसमें एक्वा लाइन पर कई मेट्रो रेल स्टेशन शामिल हैं. मूसलाधार बारिश के कारण हिंदमाता (दादर) और गांधी मार्केट (सायन) जैसे जलभराव वाले स्थान भी प्रभावित हुए - जिन्हें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही संभाल लिया था.

बीएमसी अभी भी अपने मानसून-पूर्व कार्यों को पूरा करने में लगी हुई है, जैसे कि तूफानी जल निकासी नालों की सफाई और मौजूदा सड़क कार्यों को `सुरक्षित स्थिति` में लाना. नागरिकों ने चिंता व्यक्त की है कि शहर मानसून का सामना करने के लिए तैयार नहीं है, इसके लिए नगर निकाय द्वारा योजना और आकस्मिक उपायों की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. बीएमसी के अनुसार, मानसून-पूर्व सभी कार्यों को पूरा करने में 15 दिन और लगेंगे.


बीएमसी के स्टॉर्म वाटर ड्रेन (एसडब्ल्यूडी) विभाग से प्राप्त आंतरिक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 4 जून तक, मीठी नदी के 18 किलोमीटर क्षेत्र में केवल 61 प्रतिशत गाद निकालने का काम पूरा हो पाया था, क्योंकि ठेकेदारों ने निर्धारित काम छोड़ दिया था. शहर भर में सभी छोटे नालों पर केवल 72 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. बड़े नालों पर काम अच्छी तरह से आगे बढ़ा है, अब तक 105 प्रतिशत गाद निकालने का काम पूरा हो चुका है.


हॉटस्पॉट पिछड़े

मुंबई के कई इलाके जहां जलभराव वाले स्थान हैं, वहां गाद निकालने का काम पिछड़ गया है. एफ/नॉर्थ वार्ड में हिंदमाता और गांधी मार्केट में छोटे नालों पर केवल 69 प्रतिशत गाद निकालने का काम पूरा हुआ है. इसी तरह, बांद्रा ईस्ट में छोटे नालों पर 68 प्रतिशत और बांद्रा वेस्ट में 66 प्रतिशत गाद निकालने का काम पूरा हुआ है. कुर्ला में, जहां व्यापक जलभराव है, वहां गाद निकालने का 55 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. चेंबूर और गोवंडी में, छोटे नालों पर क्रमशः 55 प्रतिशत और 52 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.


योजना का अभाव

नागरिक कार्यकर्ता निखिल देसाई ने कहा, "छोटे नालों के कारण स्थानीय स्तर पर जलभराव की समस्या पैदा होती है. अगर आस-पास का नाला जाम हो जाए तो पड़ोस से पानी कैसे निकलेगा?" देसाई के अनुसार, अगर कोई योजना नहीं है तो प्री-मानसून कार्य में इतना पैसा खर्च करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, "26 मई को इसी वजह से पूरा हिंदमाता इलाका पानी में डूब गया था." लोखंडवाला ओशिवारा नागरिक संघ के संस्थापक धवल शाह ने कहा, "करीब 10 दिन पहले, बीएमसी ने शास्त्री नगर नाले से गाद निकालकर उसे सूखने के लिए किनारे पर रख दिया था. इसके तुरंत बाद बारिश हुई और सारी गाद वापस नाले में चली गई. इसके अलावा, बीएमसी ने शास्त्री नगर नाले से पानी को जेपी रोड के ज़रिए नए विस्तार के ज़रिए निकालने का काम अभी तक पूरा नहीं किया है. इसके न होने से इलाके में और ज़्यादा जलभराव हो जाता है."

आधिकारिक बयान

नागरिक प्रमुख भूषण घागरानी ने कहा कि मीठी नदी से गाद निकालने के काम के लिए एक विस्तृत आकस्मिक योजना शुरू कर दी गई है. मीठी के लिए, काम अगले 15 दिनों तक चलेगा और बीएमसी यह सुनिश्चित करेगी कि गाद निकालने का 85 प्रतिशत काम पूरा हो जाए. "बीएमसी 15 दिनों के लक्ष्य के साथ काम पूरा करने के लिए अलग-अलग ठेकेदारों को नियुक्त कर रही है." इस अवधि के दौरान भारी बारिश की स्थिति में संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है. घागरानी ने कहा, "काम जारी है, लेकिन बारिश के कारण इसमें लगातार बाधाएँ आ रही हैं. हम गीली गाद और कचरा नहीं ले जा सकते क्योंकि यह पर्यावरण के लिए असुरक्षित और आर्थिक रूप से अव्यवहारिक है. हमें इसके सूखने का इंतज़ार करना होगा. छोटे नाले बड़ी चुनौती नहीं हैं क्योंकि इन नालों की सफाई तेज़ी से की जा सकती है. 26 मई को हुई मूसलाधार बारिश ने हमें नए जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान करने और इन स्थानों के लिए तैयारी शुरू करने का मौका दिया." उपमुख्यमंत्री और मुंबई के संरक्षक मंत्री एकनाथ शिंदे ने नगर निगम को 7 जून तक मानसून से संबंधित सभी काम पूरे करने का निर्देश दिया.

एसडब्ल्यूडी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पूरे शहर में 520 डीवाटरिंग पंप लगाए गए हैं. बीएमसी ने मानसून की तैयारियों पर 450 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें नालों की सफाई, गड्ढों की मरम्मत और डीवाटरिंग पंप लगाने के लिए निर्धारित धन शामिल है.

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