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सैफ अली खान पर हमले की खबरें देखने के बाद पता चला कि ‘विजय’ था हमलावर

Updated on: 12 April, 2025 11:44 AM IST | Mumbai
Shirish Vaktania , Diwakar Sharma | mailbag@mid-day.com

मुंबई पुलिस, जो नकाबपोश व्यक्ति की तलाश में बेताब थी, को सतगुरु शरण बिल्डिंग में घुसपैठिए के सीसीटीवी फुटेज का अंधेरी रेलवे स्टेशन पर एफआरएस से मिलान होने के बाद एक संकेत मिला.

19 जनवरी की सुबह ठाणे के हीरानंदानी एस्टेट में गिरफ्तारी के तुरंत बाद शरीफुल इस्लाम शहजाद. फोटो/दिवाकर शर्मा

19 जनवरी की सुबह ठाणे के हीरानंदानी एस्टेट में गिरफ्तारी के तुरंत बाद शरीफुल इस्लाम शहजाद. फोटो/दिवाकर शर्मा

16 जनवरी को अभिनेता सैफ अली खान को उनके बांद्रा स्थित फ्लैट में चाकू घोंपने वाले बांग्लादेशी नागरिक शरीफुल इस्लाम शहजाद के नियोक्ता द्वारा अंधेरी वेस्ट फोटोकॉपी सेंटर में 6 रुपये का डिजिटल भुगतान करने से मुंबई पुलिस को ठाणे के हीरानंदानी एस्टेट में उसके ठिकाने का पता लगाने में मदद मिली, यह खुलासा बांद्रा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में हुआ है. मुंबई पुलिस, जो नकाबपोश व्यक्ति की तलाश में बेताब थी, को सतगुरु शरण बिल्डिंग में घुसपैठिए के सीसीटीवी फुटेज का अंधेरी रेलवे स्टेशन पर फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस) से मिलान होने के बाद एक संकेत मिला. फिर जांचकर्ताओं को 9 जनवरी के अंधेरी वेस्ट के फुटेज मिले, जिसमें वह एक व्यक्ति के साथ पीछे की सीट पर बैठा हुआ दिखाई दे रहा था.

पुलिस ने मोटरसाइकिल सवार का विवरण प्राप्त किया और बाइक सवार की पहचान अमित पांडे के रूप में हुई, जिसने शहजाद को अपने हाउसकीपिंग स्टाफ के सदस्य के रूप में काम पर रखा था. जांच दल ने फिर हमलावर का सीसीटीवी फुटेज पांडे को दिखाया, जिन्होंने उसकी पहचान विजय दास के रूप में की.


हमलावर का मोबाइल नंबर प्राप्त करने के बाद, पुलिस ने दास को हीरानंदानी तक पहुँचाया, जहाँ वह एक बैरक के पीछे छिपा हुआ था. हालाँकि चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि शहजाद ने 1 करोड़ रुपये की माँग करने के लिए सैफ के बांद्रा स्थित फ्लैट में प्रवेश किया था, लेकिन इस बात का कोई विस्तृत विवरण नहीं है कि वह 16 जनवरी को अपार्टमेंट में कैसे घुसा. हमलावर सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गया था, जिसमें उसे 1.37 बजे इमारत की सीढ़ियों पर चढ़ते और फिर 2.37 बजे नीचे उतरते हुए देखा गया था.


चार्जशीट के अनुसार, आरोपी को 16 जनवरी को सुबह 3.37 बजे भारती विला बिल्डिंग के परिसर से बाहर निकलते हुए सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था. लेकिन किसी को भी उसके ठिकाने की भनक नहीं लगी. बांद्रा पुलिस की एक बड़ी टीम अपराध स्थल पर पहुँची और फ्लैट में फर्श पर बिखरे महत्वपूर्ण साक्ष्यों के टुकड़ों को इकट्ठा करने के लिए घेराबंदी किए गए क्षेत्र का निरीक्षण किया. चार्जशीट में खुलासा किया गया है कि, "अपराध स्थल की जांच फोरेंसिक मोबाइल वैन, फिंगरप्रिंट विशेषज्ञों और डॉग टीम की मदद से की गई. साक्ष्य के तौर पर, घटनास्थल से 29 नमूने बरामद किए गए हैं, जैसे चाकू का ब्लेड का टुकड़ा, मौके पर पड़े खून के नमूने, खून से सना तकिया कवर, खून से सना गद्दा कवर, खून से सना लोड कवर, खून से सना कॉटन पैड, खून से सना टिशू पेपर, सूती कपड़े का सादा नमूना." 

पांडे ने बांद्रा पुलिस को बताया कि वह श्री ओम फैसिलिटी सर्विसेज नामक हाउसकीपिंग मैनपावर एजेंसी में सुपरवाइजर के तौर पर काम करता है. नवंबर 2024 में उनकी मुलाकात शहजाद से हुई. पांडे ने बताया, `उक्त एजेंसी काम करने के लिए आने वाले लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर होटलों में रखने का काम भी करती है. जुलाई 2024 में एक व्यक्ति हमारे पास आया और हमारी एजेंसी में काम करने वाले परिचित विशाल (पूरा नाम पता नहीं) के यहां हाउसकीपिंग का काम मांगा. उसने अपना नाम विजय दास बताया. उस समय मैंने उससे उसका आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज मांगे तो उसने कहा कि वह बाद में दे देगा. करीब दो दिन बाद मैंने उसे वर्ली कोलीवाड़ा स्थित एक पब में हाउसकीपर के तौर पर काम पर रख लिया, जहां उसने हमारी एजेंसी में काम करने वाले अन्य लोगों के साथ रहने की व्यवस्था की. विजय ने पब में चार महीने तक काम किया.` पांडे ने बताया, "विजय 13 जनवरी तक बांद्रा में काम करता था. उसके बाद मुझे जानकारी मिली कि वह दो-तीन दिन से काम पर नहीं आया है. उस समय मैंने उसे बार-बार फोन करने की कोशिश की. लेकिन विजय का फोन बंद आ रहा था. फिर 16 जनवरी को सुबह करीब 11 बजे एक अनजान मोबाइल नंबर से कॉल आया. उसने बताया कि वह विजय दास से बात कर रहा है, उसने पूछा कि मैं दो दिन से काम पर क्यों नहीं आया. जब उससे इस बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि काम पर आते समय माहिम में ट्रेन में उसका किसी व्यक्ति से झगड़ा हो गया था." 


विजय ने बताया कि वह व्यक्ति पुलिसवाला था, इसलिए उसे थाने ले जाकर बंद कर दिया. उसी दिन शाम करीब साढ़े सात बजे विजय ने रोहित यादव नामक व्यक्ति के फोन से मुझे कॉल किया. रोहित हमारी एजेंसी वर्ली कोलीवाड़ा में रहता है. उसने कहा कि उसे खाने-पीने के लिए पैसे नहीं चाहिए. उसने मुझसे 1000 रुपए भेजने को कहा. मैंने पैसे ट्रांसफर कर दिए. उस समय मैंने रोहित को नियमित रूप से काम पर जाने को कहा. लेकिन मुझे पता चला कि विजय उस दिन भी काम पर नहीं गया. जब मैंने काम पर मौजूद दूसरे लोगों से विजय के बारे में पूछा तो पता चला कि वह कमरे में ही नहीं था. 

उन्होंने बताया, "18 जनवरी की रात को जब मैं घर पर टीवी देख रहा था, तो मैंने अभिनेता सैफ अली खान पर हमले की खबर देखी. संदिग्ध का चेहरा और उसने जो शर्ट पहनी थी, उसे देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वह विजय है. मैंने उससे बार-बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जब मैं उससे संपर्क नहीं कर पाया, तो मैंने पुलिस को मामले की सूचना देने का फैसला किया. लेकिन अगले दिन मुझे टीवी से पता चला कि उसे पुलिस ने पकड़ लिया है." पांडे ने बताया, "जब पुलिस ने मुझे बुलाया और मुझसे पूछताछ की, तो मुझे पता चला कि उसका असली नाम मोहम्मद शरीफुल सज्जाद रोहुल अमीन फकीर है और वह बांग्लादेश का नागरिक है."

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