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बल्ला छोड़ केदार जाधव ने थामा भगवा, भाजपा में शामिल

Updated on: 09 April, 2025 03:54 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

वे महाराष्ट्र पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और अन्य नेताओं की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए.

केदार जाधव महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए. फोटो/X

केदार जाधव महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए. फोटो/X

पूर्व भारतीय क्रिकेटर केदार जाधव मंगलवार को महाराष्ट्र के शीर्ष पार्टी नेताओं की मौजूदगी में मुंबई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. 39 वर्षीय केदार जाधव ने पिछले साल जून में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की थी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वे महाराष्ट्र पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और अन्य नेताओं की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए. 

रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, "वे राज्य का दौरा करेंगे और युवाओं से मिलेंगे. वे महाराष्ट्र में भाजपा की खेल शाखा को मजबूत करने में मदद करेंगे." पार्टी में केदार जाधव को क्या भूमिका या जिम्मेदारी दी जाएगी, इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि, एक्स पर एक पोस्ट में केदार जाधव ने लिखा, "एक क्रिकेटर की दूसरी पारी शुरू होती है - बल्ले से नहीं, बल्कि एक उद्देश्य के साथ. लोगों के भरोसे और भाजपा के विजन के साथ, मैं महाराष्ट्र और भारत के लोगों की सेवा करने के लिए यह कदम उठा रहा हूं. प्यार और समर्थन ही मेरा मार्गदर्शक बल हो."


राज्य मंत्री संजय शिरसाट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे वाले शहर खुल्ताबाद का नाम बदलकर रत्नापुर करने की तैयारी कर रही है. यह कदम मुगल काल के दौरान बदले गए ऐतिहासिक नामों को बहाल करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है. रिपोर्ट के मुताबिक छत्रपति संभाजीनगर शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित खुल्ताबाद हाल ही में औरंगजेब, उनके बेटे आजम शाह, निजाम आसफ जाह और अन्य ऐतिहासिक हस्तियों की कब्रों की मौजूदगी के कारण राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस का केंद्र बन गया है. 


राज्य सरकार खुल्ताबाद में छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी महाराज को समर्पित एक स्मारक बनाने पर भी विचार कर रही है. शिरसाट ने कहा, "यह स्थल लोगों को मराठा साम्राज्य के वीरतापूर्ण इतिहास के बारे में शिक्षित करने के लिए एक स्थान के रूप में काम करेगा." इस घोषणा को समर्थन और आलोचना दोनों मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जबकि समर्थक नाम बदलने को ऐतिहासिक विकृतियों के उचित सुधार के रूप में देखते हैं, आलोचकों का तर्क है कि यह चुनावों से पहले जनता की भावनाओं को ध्रुवीकृत करने के लिए एक राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम हो सकता है. सरकार से उम्मीद है कि वह जल्द ही नाम परिवर्तन को लागू करने के लिए आवश्यक औपचारिक प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू करेगी.


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