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शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने पुरंदर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाई

Updated on: 06 May, 2025 12:54 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने पुरंदर हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया.

X/Pics, Sushma Andhare

X/Pics, Sushma Andhare

पुणे जिले के पुरंदर क्षेत्र में किसानों और ग्रामीणों द्वारा प्रस्तावित पुरंदर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. यह विरोध उस समय और बढ़ा जब पुणे ग्रामीण पुलिस ने ड्रोन सर्वेक्षण के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया और 150 से अधिक ग्रामीणों के खिलाफ तीन अलग-अलग अपराध दर्ज किए. किसानों का आरोप है कि उन्हें उनकी ज़मीन से बेदखल करने के लिए सरकार ने बिना उनकी अनुमति के भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो उनके जीवन और आजीविका के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है.

विरोध प्रदर्शन में शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे, सचिन भाऊ अहीर, सुषमा अंधारे, और उल्हास शेवाले समेत कई शिवसेना पदाधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे. इस विरोध का मुख्य मुद्दा यह था कि किसानों की कृषि भूमि को बिना उनकी सहमति के हवाई अड्डे के निर्माण के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है, जिससे न केवल उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है, बल्कि उनकी उपजाऊ ज़मीन भी खत्म हो रही है.


 



 

किसानों का कहना है कि यदि हवाई अड्डे की आवश्यकता है तो पुणे शहर के पास स्थित बारामती हवाई अड्डे का विस्तार किया जा सकता है. पुणे हवाई अड्डा यहां से सिर्फ 36 किलोमीटर दूर है, और ऐसे में पुरंदर में नए हवाई अड्डे की कोई आवश्यकता नहीं है. इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया कि कुछ दलालों और गद्दारों ने मिलकर किसानों की ज़मीन सस्ते दामों पर खरीदने की योजना बनाई है, ताकि बाद में उन्हें ऊंचे दामों पर बेचा जा सके.

किसानों का कहना है कि पुरंदर हवाई अड्डे का निर्माण उनके खेतों और कृषि भूमि पर किया जा रहा है, जो उनके लिए न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी नुकसानदायक है. उनका मानना है कि यह परियोजना बिना उचित विचार-विमर्श और सहमति के लागू की जा रही है.

 

 

शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और सरकार से मांग की कि वह किसानों की ज़मीन का सम्मान करे और बिना उनकी सहमति के किसी भी अधिग्रहण प्रक्रिया को रोक दे. शिवसेना के नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार किसानों के हितों की रक्षा नहीं करती और यह निर्णय रद्द नहीं किया जाता.

विरोध में शामिल लोगों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपनी नीति पर पुनर्विचार नहीं किया, तो वे और अधिक उग्र विरोध प्रदर्शन करेंगे. किसान यह चाहते हैं कि सरकार उनकी उपजाऊ ज़मीन का सम्मान करे और बिना किसी वैध कारण के इसे न छेड़े.

पुलिस प्रशासन ने इस विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन विरोध की लहर अभी भी जारी है. इस मुद्दे ने पुरंदर के किसानों और स्थानीय लोगों के बीच गहरी चिंता और असंतोष पैदा कर दिया है, और अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले पर विचार करेगी और किसानों की चिंताओं को समझेगी.

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