Updated on: 12 February, 2025 06:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मराठी साहित्य सम्मेलन, जो पहली बार 1878 में आयोजित किया गया था, 1926 से लगभग हर साल आयोजित किया जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 फरवरी को 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे, जिसमें देश भर के लेखक और आलोचक एक साथ आएंगे. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मराठी साहित्य सम्मेलन, जो पहली बार 1878 में प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था, 1926 से लगभग हर साल आयोजित किया जाता है और इसमें विद्वान, आलोचक और साहित्यकार एक साथ आते हैं और बदलते समय में मराठी की प्रासंगिकता सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक मराठी लोक साहित्य, संस्कृति, परंपराओं की प्रसिद्ध विशेषज्ञ और रंगमंच कलाकार तारा भवालकर इस सम्मेलन की अध्यक्ष हैं, जो 71 वर्षों के अंतराल के बाद राष्ट्रीय राजधानी में वापस आ रहा है. यह संयोग ही है कि मराठी विश्वकोश पर जोशी के साथ मिलकर काम करने वाली भावलकर मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष हैं - पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद यह पहला सम्मेलन है.
भावलकर ने सरकार और आम लोगों द्वारा मराठी भाषा के प्रति उदासीन रवैये पर चिंता जताई. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "लोगों में रुचि पैदा करने के लिए हमें मराठी में मौलिक शोध करने और प्रकाशित करने की जरूरत है. अंग्रेजी भाषा की ओर रुझान बढ़ रहा है और यहां तक कि सरकार नए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को मंजूरी दे रही है." भावलकर ने कहा कि सरकार को मराठी भाषा में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए और मातृभाषा में प्रकाशन या शोध को प्रोत्साहित करना चाहिए, उनका तर्क है कि इस तरह के दृष्टिकोण से भाषा को संरक्षित करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, "शास्त्रीय भाषा का दर्जा मराठी भाषा में अध्ययन के लिए अधिक धन प्राप्त करने में मदद कर सकता है." रिपोर्ट के मुताबिक भावलकर ने कहा कि मराठी भाषा ग्रामीण क्षेत्रों में फल-फूल रही है, जहां नियमित रूप से कई साहित्यिक उत्सव आयोजित किए जा रहे हैं. तीन दिवसीय मराठी साहित्य सम्मेलन तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा, जिसका नाम कार्यक्रम के दौरान बदलकर `छत्रपति शिवाजी महाराज साहित्य नगरी` कर दिया जाएगा.
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