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हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाना महाराष्ट्र की मराठी पहचान पर हमला: हर्षवर्धन सपकाल का आरोप

Updated on: 18 June, 2025 03:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी को कक्षा 4 से तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का निर्णय लिया है, जिसे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने फडणवीस सरकार की साजिश करार दिया है.

X/Pics, Harshvardhan Sapkal

X/Pics, Harshvardhan Sapkal

महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा IV से हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का निर्णय लिया है. यह फैसला राज्य के शिक्षा क्षेत्र में उथल-पुथल मचाने वाला है, क्योंकि वर्तमान में कक्षा 1 से 4 तक सिर्फ मराठी और अंग्रेजी ही अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही थीं. इस सरकारी संकल्प (जीआर) के मुताबिक, अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया जाएगा.

 



 


कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने इस कदम पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र और मराठी की छाती में छुरा घोंपने जैसा है. उन्होंने ट्वीट करते हुए यह आरोप लगाया कि फडणवीस सरकार ने जनता को धोखा दिया है, जब यह कहा गया कि तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा. सरकार का जीआर क्या कहता है? हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का निर्णय ही इसका सबूत है.

सपकाल ने यह भी कहा कि यदि कोई अन्य भाषा चुननी है, तो इसके लिए कम से कम 20 छात्रों की शर्त रखी गई है. इस कदम को उन्होंने हिंदी थोपने की एक सुनियोजित साजिश करार दिया. उनका मानना है कि यह भाजपा का महाराष्ट्र विरोधी एजेंडा है, जो मराठी भाषा, मराठी पहचान और मराठी लोगों को नष्ट करने की साजिश है.

आगे उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फडणवीस, शिंदे और अजित पवार की वफादारी महाराष्ट्र और मराठी लोगों के प्रति नहीं बल्कि दिल्ली वालों के प्रति है. शिंदे समूह के पास शिक्षा मंत्रालय है और उसने मराठी लोगों की संस्कृति और पहचान को कुचलने की जिम्मेदारी उसी तरह ली है, जैसे उसने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा था. अजित पवार सत्ता के लिए इतने बेताब हैं कि उन्हें महाराष्ट्र और मराठी लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता. उनकी एकमात्र नीति वित्त मंत्रालय पर कब्जा करना है.

सपकाल ने यह भी कहा कि आरएसएस और भाजपा का "एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति" का एजेंडा महाराष्ट्र की जड़ों तक पहुंच चुका है. जब तक इस एजेंडे को खारिज नहीं किया जाता, तब तक महाराष्ट्र के लोग शांत नहीं बैठेंगे. यह कदम महाराष्ट्र की पहचान पर सीधा हमला है, और हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे.

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