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पश्चिम बंगाल हिंसा के शिकार हिन्दुओं को मालदा में शरण, राहत शिविर किए स्थापित

Updated on: 15 April, 2025 06:24 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राहत शिविर में मौजूद डॉक्टर प्रसनजीत मंडल ने बताया कि उनकी टीम जरूरतमंद लोगों को सभी जरूरी दवाएं और सामग्री मुहैया करा रही है.

हिंसा बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मृत्यु हो गई, कई लोग घायल हो गए और संपत्ति का व्यापक नुकसान हुआ. तस्वीर/पीटीआई

हिंसा बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मृत्यु हो गई, कई लोग घायल हो गए और संपत्ति का व्यापक नुकसान हुआ. तस्वीर/पीटीआई

वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 11 अप्रैल को हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद के समसेरगंज-धुलियान इलाके में अपने घरों से भागने को मजबूर हुए लोगों को आश्रय देने के लिए मालदा के पार लालपुर में एक राहत शिविर बनाया गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार राहत शिविर में मौजूद डॉक्टर प्रसनजीत मंडल ने बताया कि उनकी टीम जरूरतमंद लोगों को सभी जरूरी दवाएं और सामग्री मुहैया करा रही है. 

रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने से कहा, "पिछले 3 दिनों से हम यहां दिन में दो बार आ रहे हैं. हमारे पास उच्च रक्तचाप, मधुमेह, खांसी और जुकाम के लिए सभी जरूरी दवाएं हैं... अभी तक कोई भी मरीज ऐसा नहीं है जिसे दवाओं की जरूरत हो." राहत शिविर में रह रहे केशव मंडल ने स्थिति पर अपनी निराशा साझा की. उन्होंने कहा, "हमें नहीं पता कि स्थिति कब सामान्य होगी और हम वापस जा पाएंगे." 


उन्होंने कहा, "हम शनिवार, 12 अप्रैल को यहां आए थे. हमारे घर में सब कुछ जल गया था. हमें नहीं पता कि स्थिति कब सामान्य होगी और हम वापस जा पाएंगे. हमारे आस-पास के गांवों से लोग आज यहां आए हैं." राहत शिविर में रह रहे एक अन्य व्यक्ति लालचरण मंडल ने सरकार से क्षेत्र में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने की अपील की. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "मेरा घर और सब कुछ जल गया है. उन्होंने मुझे आश्रय दिया है और इसीलिए मैं आज जीवित हूं. अगर इतनी अशांति है, तो मैं घर कैसे वापस जा सकता हूं? जाने का कोई रास्ता नहीं है. मैं शांति और सद्भाव चाहता हूं; यही मैं सरकार से चाहता हूं." 


राहत शिविर में रूपा मंडल ने कहा कि वह चार दिन पहले यहां आई थीं. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "हमें यहां आए हुए 4 दिन हो गए हैं. हमारे पूरे घर में आग लगा दी गई. हम दोपहर का खाना खा रहे थे, तभी अचानक कुछ लोग घुस आए और लूटपाट और हमला करना शुरू कर दिया. बीएसएफ के जवान हमें राहत शिविर में ले गए. हम अपने घर के लिए मुआवजा चाहते हैं." मुर्शिदाबाद में हिंसा वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के कारण शुरू हुई, जो इस क्षेत्र का एक विवादास्पद मुद्दा है. हिंसा बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत हो गई, कई लोग घायल हो गए और व्यापक संपत्ति का नुकसान हुआ.


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