Updated on: 08 July, 2025 08:58 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
आज मीरा भयंदर में मराठी एकीकरण समिति द्वारा आयोजित आंदोलन के दौरान पुलिस ने मनसे नेता अविनाश जाधव को गिरफ्तार कर लिया और संदीप राणे को तड़ीपार कर दिया है.
मनसे के नेताओं का कहना है कि मराठी भाषा को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता. उनका दावा है कि राज्य महाराष्ट्र है और मराठी भाषा हमारी पहचान है. पार्टी के नेता यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि कोई मराठी भाषा का विरोध करेगा, तो उसे मनसे कार्यकर्ताओं का सामना करना पड़ेगा.
मीरा भयंदर में आज मराठी एकीकरण समिति की ओर से एक विशाल मार्च निकाला जाएगा, जिसमें मराठी भाषा और संस्कृति की पहचान को बढ़ावा देने की कोशिश की जाएगी. इस मार्च को लेकर शहर भर में बैनर लगाए गए हैं, जो आंदोलन की अपील कर रहे हैं. यह आंदोलन राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और महाराष्ट्र प्रेमियों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है. सभी का उद्देश्य मीरा-भायंदर में मराठी संस्कृति की पहचान को मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि मराठी भाषा को प्राथमिकता दी जाए.
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मार्च से पहले पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है. मनसे (महाराष्ट्र नव निर्माण सेना) के नेता अविनाश जाधव को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि पार्टी के अन्य नेता संदीप राणे को एक दिन के लिए मीरा भयंदर से तड़ीपार किया गया है. इसके अलावा, फडणवीस सरकार ने भी इस आंदोलन को रोकने के लिए कई मनसे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब आंदोलन को लेकर शहर में तनाव की स्थिति बनी हुई है. मिली जानकारी के अनुसार, मार्च 10 बजे निकाला जाएगा.
मनसे के नेताओं का कहना है कि मराठी भाषा को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता. उनका दावा है कि राज्य महाराष्ट्र है और मराठी भाषा हमारी पहचान है. पार्टी के नेता यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि कोई मराठी भाषा का विरोध करेगा, तो उसे मनसे कार्यकर्ताओं का सामना करना पड़ेगा.
अंदाजन 2 से 3 किलोमीटर लंबी यह मार्च मीरा भयंदर के प्रमुख स्थानों से होकर निकलेगी. बैनर और पोस्टरों के जरिए लोगों को इस आंदोलन में भाग लेने की अपील की जा रही है. इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मराठी लोगों की आवाज़ को उठाना और मराठी भाषा को राज्यभर में सर्वोच्च दर्जा दिलवाना है.
हालांकि पुलिस की कड़ी निगरानी और गिरफ्तारियों के बावजूद, आंदोलन के समर्थक उत्साहित हैं और उनका मानना है कि इस आंदोलन से मराठी समुदाय के हक में बदलाव आएगा. वे सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं कि मराठी भाषा को राज्य में समान दर्जा मिले और इसके सम्मान की रक्षा की जाए. अब देखना यह होगा कि यह आंदोलन किस हद तक सफल होता है और क्या इसके जरिए मराठी भाषा की पहचान को लेकर सरकार पर दबाव डाला जा सकेगा.
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