Updated on: 16 April, 2025 04:29 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं.
अजित पवार. तस्वीर/X
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा है कि महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार की प्रमुख योजना लड़की बहन योजना जारी रहेगी और इसे खत्म करने का कोई सवाल ही नहीं है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के तहत, जिसके बारे में माना जाता है कि इसने पिछले साल राज्य के चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति (जिसमें भाजपा, शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी शामिल है) की जीत में अहम भूमिका निभाई थी, महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं. पवार, जो राज्य के वित्त मंत्री भी हैं, ने कहा, "योजना के कार्यान्वयन के लिए बजटीय आवंटन किया गया है और इसे खत्म करने का कोई सवाल ही नहीं है."
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रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले, राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने मंगलवार को कहा कि लड़की बहन योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन एक अन्य योजना के तहत पहले से ही 1,000 रुपये पाने वाली लगभग 7.74 लाख महिलाओं को 500 रुपये का अंतर दिया जा रहा है.
वह उन मीडिया रिपोर्टों का जवाब दे रही थीं, जिनमें दावा किया गया था कि लड़की बहन योजना के तहत 7,74,148 महिलाओं को मिलने वाली सहायता राशि में कटौती की गई है, जो अन्य योजनाओं से लाभ प्राप्त कर रही थीं. लड़की बहन योजना के तहत उन महिलाओं को भुगतान किया जाता है, जो अन्य योजना का लाभ नहीं ले रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार तटकरे ने कहा कि जिन लोगों को अन्य योजनाओं के तहत 1,500 रुपये से कम का लाभ मिल रहा है, उन्हें लड़की बहन योजना के तहत अंतर का भुगतान किया जाता है.
एनसीपी नेता ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि इस नीति के अनुरूप, नमो शेतकरी सम्मान योजना के तहत 1,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने वाली 7,74,148 महिलाओं को 500 रुपये का अंतर दिया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक तटकरे ने कहा, "लड़की बहन योजना से किसी भी पात्र महिला को बाहर नहीं रखा गया है और 3 जुलाई, 2024 के बाद उक्त प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है." उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान इस बारे में स्पष्टीकरण दिया है. उन्होंने दावा किया कि विपक्ष लगातार इस योजना के बारे में गलत सूचना फैला रहा है और इसके नेताओं को या तो प्रशासनिक मामलों की समझ कम है या फिर योजना की सफलता से उनका मनोबल गिर गया है.
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