Updated on: 16 January, 2025 09:41 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
अदालत का कहना है कि वायु-प्रदूषण को रोकने के लिए मुंबई की सड़कों पर केवल संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और बिजली से चलने वाले वाहन होने चाहिए.
प्रतीकात्मक छवि
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कल राज्य सरकार को विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने का आदेश दिया, जो इस बात पर रिपोर्ट तैयार करे कि क्या चरणबद्ध तरीके से पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाना संभव है क्योंकि वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण मुंबई में वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है. अदालत का कहना है कि वायु-प्रदूषण को रोकने के लिए मुंबई की सड़कों पर केवल संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और बिजली से चलने वाले वाहन होने चाहिए.
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मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने पंद्रह दिनों के भीतर विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने को कहा. अदालत ने कहा कि शहर की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के लिए वाहन प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है और वायु-प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए उपाय अपर्याप्त साबित होते हैं.
हाई कोर्ट ने सरकारी पैनल से मामले का अध्ययन कर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देने को भी कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को यह भी आदेश दिया है कि सभी लकड़ी और कोयले से चलने वाली बेकरियों को एक साल के बजाय छह महीने के भीतर गैस से चलने वाली बेकरी में बदल दिया जाए.
इस समय सीमा के भीतर परिवर्तन नहीं करने वाले बेकर का लाइसेंस रद्द कर दिया जाए. समय-समय पर उन्होंने लकड़ी या कोयले पर चलने वाली नई बेकरियों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इतना ही नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी और एमपीसीबी को शहर के सभी निर्माण स्थलों पर प्रदूषण संकेतक लगाने का भी आदेश दिया.
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