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शूटिंग से भागे-भागे आए पंकज त्रिपाठी, डॉ. धर्मवीर भारती को किया नमन, कहा- `मेरी भी किताब पब्लिश करवा दो`

Updated on: 19 January, 2025 08:30 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

यह समारोह धर्मवीर भारती की विरासत का सम्मान करने के लिए एक शानदार मेलजोल था है, जिनकी उत्कृष्ट कृतियों ने भारतीय साहित्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है.

वाणी प्रकाशन ग्रुप

वाणी प्रकाशन ग्रुप

हाल ही में वाणी प्रकाशन ग्रुप ने हिंदी साहित्य की सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक धर्मवीर भारती की जन्म शताब्दी मनाने के लिए, मुंबई में एक भव्य साहित्यिक और सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया. यह समारोह धर्मवीर भारती की स्थायी विरासत का सम्मान करने के लिए साहित्यिक दिग्गजों, सांस्कृतिक प्रतीकों और प्रतिष्ठित कलाकारों की एक शानदार सभा का मेलजोल था है, जिनकी उत्कृष्ट कृतियों जैसे गुनाहों का देवता और अंधा युग ने भारतीय साहित्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है.

 शूटिंग से भागे - भागे आये एक्टर पंकज त्रिपाठी


एक्टर पंकज त्रिपाठी रंगमंच के देवता हैं और किताबे-रंगमंच का अनोखा रिश्ता हैं. अपने पसंदीदा साहित्यकार की जन्मशताब्दी पर पंकज त्रिपाठी शूटिंग से भागते-भागते आये. किताबो के शौकीन और रंगमंच पर साहित्य की बड़ी बड़ी कहानियों को साकार कर पंकज त्रिपाठी एक महान अभिनेता बने हैं. तो ऐसे में वाणी प्रकाशन द्वारा पापों के देवता के 164 संस्करण पर पंकज त्रिपाठी हर कठिनाई को पार करते आ गए. 


पंकज त्रिपाठी ने मीडिया से कहा कि," मैं धर्मवीर भारती और पुष्पा जी को प्रणाम करने आया हूं वह मेरे प्रिय लेखक हैं. गुनाहों का देवता हमने 20 से 21 साल की उम्र में पढ़ी थी. अंधा युग मैंने किया है और सूरज का सातवां घोड़ा मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है ,तो बस हम जो भी है आज, साहित्य की बदौलत ही है.रंगमंच और साहित्य का एक अनोखा रिश्ता है. हम बस उन्हें प्रणाम करने और याद करने आए हैं.मैं शूटिंग में था और कैसे-कैसे चेंज करके आया हूं.

उपन्यास गुनाहों का देवता के 164 वे संस्करण पर पंकज त्रिपाठी का साहित्य गुरु धर्मवीर भारती को नमन


इस श्रद्धांजलि का मुख्य आकर्षण `गुनाहों का देवता` के 164 वें संस्करण का अनावरण हुआ, जो धर्मवीर भारती का मौलिक उपन्यास है जिसने पीढ़ियों को प्रेरित किया है. यहां तक की एक्टर पंकज त्रिपाठी भी इससे काफी प्रभावित हैं और इस मौके पर एक्ट्रेस दिव्या दत्ता के साथ उन्होंने भी इस उपन्यास के कुछ सारांश पंक्तियों का मौखिक तौर पर नाटकीय उल्लेख किया . यह संस्करण दिवंगत लेखक की पत्नी पुष्पा भारती जी को उनकी साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने और पोषित करने में उनकी भूमिका के लिए आभार के प्रतीक के रूप में भेंट किया गया.

किताब लिखना चाहते हैं एक्टर पंकज त्रिपाठी 

पंकज त्रिपाठी ने वाणी प्रकाशन ग्रुप के संस्थापक से कहा कि," मेरी किताब भी छापियें. मैं कुछ लिख ही दूंगा, जीवन एक अनुभव ही तो हैं." ऐसे में ये बात तो साफ हो गयी कि बहुत ही जल्द पंकज त्रिपाठी की लिखी हुई किताब भी उनके चाहनेवालो को पढ़ने के लिए मिल सकती हैं. 

हिंदी सिनेमा में साहित्य को लेकर कहीं बड़ी बात 

एक्टर पंकज त्रिपाठी ने सिनेमा में साहित्य को लेकर कहा कि," हम तो साहित्य पढ़कर ही बड़े हुए हैं हम चाहते हैं की हिंदी सिनेमा में साहित्य को लेकर कुछ काम हो जो हम जैसे रंगमंच के एक्टर के लिए बहुत अच्छा होगा".

गीतकार समीर के लिए बहुत बड़ा उत्सव

कार्यक्रम में समीर अंजान की `समीर लफ्जों के साथ एक सफनामा` भी शामिल किया गया, जिसमें प्रशंसित गीतकार खुद ने अपनी रचनात्मक यात्रा के बारे में विचारोत्तेजक बातचीत की.

वाणी प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित किये गए इस साहित्यिक समारोह में आई दिव्या दत्ता, सुतापा सिकदर, हिमानी शिवपुरी, पीयूष मिश्रा, इला अरुण,समीर सोनू जैसे तमाम सितारे . इस उत्सव का समापन `द लव स्टोरी ऑफ फाइव जेनरेशन` में एक भावनात्मक चरमोत्कर्ष के साथ हुआ. इस सत्र में प्रसिद्ध अभिनेता सीमा पाहवा, पंकज त्रिपाठी, दिव्या दत्ता, इला अरुण, विनीत कुमार, सुतापा सिकदर, हिमानी शिवपुरी और अनूप सोनी द्वारा भारती की गुनाहों का देवता और अंधा युग के अंशों को जीवंत करते हुए आकर्षक प्रदर्शन किए गए.

वाणी प्रकाशन समूह के प्रबंध निर्देशक अरुण माहेश्वरी ने कहा, "धर्मवीर भारती की रचनाओं ने हिंदी साहित्य की आत्मा को आकार दिया है. यह शताब्दी समारोह उनकी प्रतिभा का सम्मान करने और लेखकों और पाठकों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करने का हमारा विनम्र प्रयास है."  वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति माहेश्वरी गोयल ने कहा, "वाणी प्रकाशन अपने 61वें वर्ष का जश्न मना रहा है, यह उत्सव कालातीत क्लासिक्स और समकालीन आवाज़ों के बीच एक सेतु का प्रतिनिधित्व करता है, जो सुनिश्चित करता है कि भारती जी की विरासत निरंतर फलती-फूलती रहे."

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