Updated on: 20 June, 2025 08:37 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इस फिल्म के जरिए फरहान अख्तर एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं और मेजर शैतान सिंह भाटी पीवीसी की कहानी को ज़िंदा कर रहे हैं.
फरहान अख्तर
एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज के बैनर तले रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर और अमित चंद्रा द्वारा प्रोड्यूस की जा रही 120 बहादुर साल 2025 की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक मानी जा रही है. ये एक वॉर ड्रामा है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. इस फिल्म के जरिए फरहान अख्तर एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं और मेजर शैतान सिंह भाटी पीवीसी की कहानी को ज़िंदा कर रहे हैं. इस फिल्म का निर्देशन रज़नीश `रेज़ी` घई ने किया है. 120 बहादुर 1962 की भारत-चीन जंग के दौरान रेजांग ला में 120 सैनिकों के आखिरी और ऐतिहासिक युद्ध को दर्शाती है, जिसे भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे बहादुरी भरी लड़ाइयों में गिना जाता है.
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यह रहे 7 ऐसे जबरदस्त कारण, जिनकी वजह से हम 120 बहादुर में फरहान अख्तर को देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं:
1) मेजर शैतान सिंह भाटी PVC के रूप में फरहान अख्तर
फरहान अख्तर पहली बार अपने करियर में एक असली जंग के हीरो मेजर शैतान सिंह भाटी का किरदार निभा रहे हैं, जिन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था. वो लीडरशिप, बलिदान और साहस का ऐसा प्रतीक हैं जिन्होंने रेजांग ला को भारतीय जज़्बे की पहचान बना दिया. स्क्रीन पर फरहान को इस किरदार की मजबूती और संकल्प के साथ देखना ही रिलीज़ का इंतज़ार करने की सबसे बड़ी वजह है.
2) सच्ची घटनाओं पर आधारित युद्ध की कहानी
120 बहादुर सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे वीर और आखिरी लड़ाइयों में से एक की सिनेमाई कहानी है. 1962 की भारत-चीन जंग की पृष्ठभूमि में रची गई ये कहानी 120 जवानों के अडिग साहस और बलिदान को सामने लाती है, जिन्होंने अंत तक मोर्चा नहीं छोड़ा. ऐसे इतिहास को बड़े पर्दे पर देखना अपने आप में एक गर्व का पल होगा.
3) हर रोल के लिए फरहान अख्तर का जबरदस्त ट्रांसफॉर्मेशन
भाग मिल्खा भाग हो या तूफान, फर्हान अख्तर सिर्फ किरदार निभाते नहीं, उन्हें जीते हैं. वो अपने हर रोल के लिए खुद को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह ढाल देते हैं. 120 बहादुर के लिए उनका ट्रांसफॉर्मेशन पहले से ही चर्चा में है—मुश्किल ट्रेनिंग, अनुशासन और किरदार की आत्मा को पकड़ने का जो जुनून उन्होंने दिखाया है, वो इस बार भी रौंगटे खड़े कर देगा.
4) लक्ष्य को डायरेक्ट करने से लेकर 120 बहादुर में लीड रोल निभाने तक
2004 में फर्हान अख्तर ने लक्ष्य के जरिए वॉर फिल्मों की परिभाषा ही बदल दी थी—उसकी संवेदनशील कहानी और दमदार निर्देशन आज भी याद किया जाता है. अब करीब दो दशक बाद फर्हान फिर एक युद्धभूमि की कहानी लेकर लौटे हैं, लेकिन इस बार वो कैमरे के पीछे नहीं, सामने हैं. काल्पनिक करन शेरगिल को गढ़ने के बाद अब वो असली हीरो मेजर शैतान सिंह भाटी PVC का किरदार निभा रहे हैं. ये सफर कहीं न कहीं निजी भी है और पूरी तरह से ‘फुल सर्कल’ जैसा लगता है.
5) रज़नीश `रेज़ी` घई का विज़न - जितनी सच्ची, उतनी तीखी, बिना रुके
अपने खास विज़ुअल अंदाज़ के लिए पहचाने जाने वाले रज़नीश ‘रेज़ी’ इस बार 120 बहादुर के ज़रिए वॉर फिल्मों को एक नया चेहरा देने वाले हैं. ये फिल्म सिर्फ गोलियों और धमाकों की नहीं होगी, बल्कि इसमें दिल होगा, इज़्ज़त होगी, और वो सच्चाई होगी जो हर हिन्दुस्तानी महसूस कर सके. कहानी सच्ची है, जज़्बा असली है—इसलिए इसका हर सीन सिर्फ बड़ा नहीं, बल्कि असरदार भी होगा.
6) एक ऐसी दास्तान जो सिनेमाघरों में देखने लायक है
रेज़ांग ला की लड़ाई शायद किताबों में कम पढ़ाई जाती है, पर इस फिल्म से अब कोई नहीं भूलेगा. 120 बहादुर सिर्फ एक वॉर फिल्म नहीं है, ये उन 120 जवानों की दास्तान है जो नामुमकिन हालातों में भी डटे रहे. रेज़ांग ला की लड़ाई हमारे इतिहास का वो अध्याय है जो शायद हर किताब में नहीं मिलता, लेकिन अब हर दिल तक पहुंचेगा. ये कहानी जीत की नहीं, जज़्बे की है. ये फिल्म याद दिलाएगी कि असली हीरो अक्सर खामोशी में लड़ते हैं—और अब उनकी उस खामोशी को आवाज़ मिल रही है.
7) मजबूत कंधों का साथ — एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज
रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर और अमित चंद्रा द्वारा निर्मित, 120 बहादुर है एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैपी स्टूडियोज की पेशकश. 120 बहादुर एक ऐसी फिल्म है जो सिर्फ कहानी नहीं कहती, बल्कि असर छोड़ती है. एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैपी स्टूडियोज जैसी भरोसेमंद टीम के साथ, जिन्होंने हमेशा दिल को छू जाने वाली, सोचने पर मजबूर करने वाली और लंबे वक्त तक याद रहने वाली फिल्में दी हैं—इस वॉर ड्रामा से भी वही उम्मीदें हैं. यह फिल्म वादा करती है: दमदार कहानी, दिल से जुड़ा इमोशन और ज़बरदस्त सिनेमाई अनुभव.
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